________________ आहारसंज्ञा दब आती है और आगे बढ़ते हुए अन्त में वह सर्वथा नष्ट हो जाने से आत्मा का स्वभाव 'अनाहारीपन' - प्रगट हो जाता आहार के चार प्रकार है:- अशन, पान, खादिम और स्वादिम / (i) जिन पदार्थो से पेट भरता है; वे अशन हैं / जैसे कि अन्न, मिठाई, दूध, दहीं आदि / (ii) पान में पानी का समावेश है / (iii) खादिम में फल, होला,चाट, सिके हुए, भुने हुए पदार्थ आते हैं / (iv) स्वादिम में मुखवांस, मसाला, औषधि आदि गिने जाते है / इनका अनेक प्रकार से त्याग किया जाता है / ___ इन चार के अतिरिक्त कुछ कड़वी या स्वादरहित दवाइयां और भस्म आदि होते है, जिन्हें 'अनाहारी' द्रव्य कहते हैं / ये रोग पीड़ा के विशेष कारणवश पच्चक्खाण के काल में भी खप जाते हैं / किंतु अतः पच्चक्खाण में इन्हें पानी के बिना ही लिये जाते हैं / ऐसी अनाहारी वस्तुओं में कुटकी (एक वनस्पति), चिरायता, इन्द्रजव, कडवी नीम, त्रिफला, राख, भस्म आदि का समावेश है / आहार का पच्चक्खाण चार प्रकार का होता है: AAR 2100