________________ भूमि-शुद्धि, शुद्ध सामग्री, कारीगरो व मजदूरों के प्रति उदारता, प्रामाणिकता, शुद्ध आशय तथा यतना (जीवजयणा) का पूरा लक्ष रखना, कारीगरों का मनमाना वर्तन आदि से भावोल्लास बढ़ाना आदि / 2. विधि पूर्वक जिन प्रतिमा को ठाठ से भराना / 3. उनकी समारोह पूर्वक प्रतिष्ठा करवाना / 4. पुत्रादि को आडम्बर पूर्वक दीक्षा दिलाना / 5. गुरुओं की गणि, पंन्यास, उपाध्याय, आचार्य आदि की पद वीयों का उत्सव करना / 6. शास्त्र लिखवाना, उनकी वाचना करानी / 7. पौषधशाला का निर्माण करवाना / (8-18) श्रावक की 11 प्रतिमा (विशेष अभिग्रह) को धारण करना / 11 प्रतिमा में सम्यक्त्व आदि 11 कठोर अभिग्रह का क्रमशः पालन करना होता हैं / 1 दर्शन, 2 व्रत, 3 सामायिक, 4 पौषध, 5 कायोत्सर्ग, 6 ब्रह्मचर्य, 7 सचित-त्याग, 8 आरम्भ त्याग, 9 प्रेष्य (नौकर) का त्याग, 10 उद्दिष्ट (अपने निमित्त बने) आहारादि का त्याग, 11 श्रमणभूत प्रतिमा / इन प्रत्येक को क्रमशः- पहली की एक मास, दूसरी की दो मास, तीसरी की तीन मास, इसी प्रकार ग्यारहवीं की ग्यारह मास 32 2070