________________ के लिए 12 लोगस्स का काउस्सग्ग, 12 प्रदक्षिणा, 12 खमासमणा, 12 साथिया, त्रिकाल देववन्दन, उभयकाल प्रतिक्रमण, ब्रह्मचर्यपालन आदि करना / यह सब कुछ शक्य न हो, तो कम से कम उसउस कल्याणक की एक-एक माला गिनकर भी कल्याणक की स्मृति करनी / 6 अट्ठइ:- कार्तिक, फाल्गुन, अषाढ की तीन अट्ठइ के 8 दिन, सुदि 14 तक / 2 अट्ठइ चैत्र और आश्विन की सुदी 7 से 15 तक शाश्वती ओली में / और, 1 अट्ठइ पर्युषण की, भाद्र. (श्रावण) वद से भाद्रपद सुदि 4 तक, इन छ अट्ठइ पर्वो की आराधना करनी / विशेषतया हरीवनस्पति-त्याग व आरंभ-संकोच आदि करना / शाश्वती ओली में विशेषतः नवपद (5 परमेष्ठी तथा दर्शन, ज्ञान, चारित्र, तप) की आराधना की जाती है / एक एक दिन एक पद की आराधना / 9 दिनों तक आयंबिल करना होता है / उस उस पद की 20 मालाएँ, पद के गुण की संख्या के परिमाण के अनुसार लोगस्स का कायोत्सर्ग, प्रदक्षिणा, खमासमणा तथा साथिया / नौ मन्दिर में नौ चैत्यवंदन करने / पर्युषणा में आठों दिन अमारिप्रवर्तन (जीवों को अभयदान) साधर्मिक वात्सल्य, कल्पसूत्र के श्रवण के साथ अट्ठम का तप, बारसा सूत्र का श्रवण, समस्त जीवों को क्षमापना, चैत्य परिपाटी, 2 2018