________________ वैशाख सुदि :- 3 'अक्षय तृतीया' के दिन वर्षीतप का केवल गन्ने के रस से पारणा किया जाता है / ऋषभदेव प्रभु ने तो निरन्तर केवल चउविहार उपवास लगभग 400 दिन किए थे / श्रेयांसकुमार ने वैशाख सुदि 3 प्रभु को पारणा कराया था / वर्षीतप इस तथ्य का सूचक है / ____ वैशाख सुदि 11 :- महावीर प्रभु ने पावापुरी में शासन की स्थापना की थी / 11 गणधर दीक्षा, द्वादशांगी- आगम की रचना तथा चतुर्विध संघ की रचना, यह सब इस दिन हुआ / इस 'शासन स्थापना' दिन की उपासना समूहरुप में सकल संघ में होनी चाहिए। (जैसे, आज 15 ऑगस्ट का दिन स्वातंत्र्य-दिन (आजादी-दिन) के रुप में देशभर में मनाया जाता है न?) कार्तिक 0):- दिवाली के अगले दिन कार्तिक वद 14 को प्रभु महावीरदेव ने प्रातःकाल से धर्म-देशना शुरु की / वह सतत दिवाली कि रात्रि के अंतिम भाग तक अर्थात् 16 प्रहर तक जारी रही / तत्पश्चात् प्रभु ने निर्वाण प्राप्त किया / अतः दो दिन के पौषध से दिवाली पर्व कि आराधना होती है / लोगों ने 'भाव-दीपक गया' इस की स्मृति में द्रव्यदीप जलाए / तब से दिपावली = दिवाली पर्व शुरु हुआ / प्रभु के निर्वाण के बाद प्रातःकाल गौतम स्वामीजी को केवलज्ञान की प्राप्ति हुइ / छट्ठ करके दिवाली कि रात के पहले भाग में SER 1998