________________ विगई (रस) के नियमन... आदि के पालन के साथ भोजन निपटाकर, नमस्कार-मन्त्रादि धर्म-मंगल करने पूर्वक जीवन निर्वाह के लिए अर्थ चिन्ता करने जाए / 'धर्म-मंगल' इसलिए कि धर्मपुरुषार्थ श्रेष्ठ पुरुषार्थ होने से इसे दूसरे पुरुषार्थो से पहले अवश्य रखना चाहिए / ___ धंधे में झूठ, अनीति, दंभ, निर्दयता आदि का बिलकुल त्याग रखना चाहिए / कमाई में से आधा-भाग घरखर्च में, चतुर्थ-भाग बचत खाते में और चतुर्थ भाग धार्मिक कार्य में लगाए / संध्या का भोजन इस प्रकार करना कि सूर्यास्त से दो घडी पूर्व (अथवा कम से कम सूर्यास्त से पूर्व) अशन-पान-खादिम-स्वादिम इन चारों आहार के त्याग रूप चउविहार या पानी सिवा तीन त्याग रूप तिविहार पच्चक्खाण किया जाए / संध्या और रात में, शाम के भोजन के पश्चात् जिन-मंदिर में धूप, आरती, मंगल-दीपक एवं चैत्यवंदन करना चाहिए / इसके बाद संध्या का प्रतिक्रमण / यदि यह संभव न होत तो स्वात्मनिरीक्षण, इसमें दिनभर के दुष्कृतों की गर्हा, शांति-पाठ करके गुरुमहाराज की सेवा-उपासना करनी चाहिए / घर आकर परिवार को कोई धर्मशास्त्र, रास अथवा तीर्थंकर भगवान आदि महापुरुषों का चरित्र सुनाना चाहिए / स्वयं भी कुछ न कुछ नवीन धार्मिक अध्ययन करके तत्त्वज्ञान में वृद्धि करें / अनित्य, अशरण आदि भावना से दिल को भावित बनाना / बाद सो जाना | निंद न आए तब तक 21670