________________ वाला है / " ऐसा आश्वासन रहें; व मृत्यु के बाद आगे सद्गति मिले। प्रतिक्रमण : प्रभात में जागकर नवकार स्मरण और आत्मचिन्ता करके धर्मस्फूर्ति प्राप्त करनी चाहिए / उसके बाद सामायिक, प्रतिक्रमण किया जाए / यदि यह शक्य न हो तो विश्व के समस्त तीर्थो, जिनमँदिरों प्रतिमाओं को स्थलवार याद करके वंदना करनी चाहिये। विचरण करते हुये सीमंधर भगवान आदि तीर्थंकर भगवान एवं तीर्थाधिराज श@जयादि तीर्थो की वंदना-स्तुति करना / भरतेश्वर, बाहुबली आदि महापुरुषो एवं सुलसा, चंदनबाला आदि महासतीयो एवं उपकारियो का स्मरण करना / मैत्री आदि भावना का चिन्तन करना कर्तव्य है / पच्चक्खाण : तदुपरांत पच्चक्खाण धार लेना या आत्मसाक्षी से कर लेना / पच्चक्खाण कम से कम नवकारशी का करना चाहिए / इसमें सूर्योदय के पश्चात् दो घड़ी तक मुख में पानी की बुंद भी नही डालनी चाहिए / जैन धर्म में बताई गई तपस्या से पूर्व बद्ध बहुत पापकर्मो का क्षय होता है / पच्चक्खाण लेते ही पाप नष्ट ! नवकारशी आदि के फल :एक नवकारशी से 100 वर्ष की नरक-वेदना का पाप नष्ट होते 1638