________________ दिशा सन्मुख बैठकर 7-8 नवकार मंत्र का स्मरण करना चाहिए / हृदय-कमल की कर्णिका और आठ पंखुड़ियों में 9 पदों का चिंतन किया जा सकता है / धर्म-जागरिकाः बाद में इस बात का स्मरण कर धर्म जागरिका करनी,- (i) 'कोऽहं?' (ii) 'को मम कालो?' (iii) 'किमेअस्स उचिअं?' | अर्थात् (i) 'कोऽहं -मैं कौन हूँ?' अनंत जन्मों के बाद मिल सके ऐसे अति दुर्लभ मानव भव को प्राप्त हूँ / (ii) 'को मम कालो?' - मुझे यह कौन सा अवसर मिला है? संसार से मुक्त कर सके ऐसा अतिदुर्लभ जिनशासन का सुवर्ण अवसर मिला है। ___(iii) 'किं एअस्स उचिअं?' - ऐसे सुवर्ण अवसर के योग्य मेरा कर्तव्य क्या है? यही कि अति कीमती जिनशासन की - जैनधर्म की आराधना करूं / पूर्व में अनंत मानवभव संसार की आराधना करते करते गँवाये, अब जिनोक्त धर्म की विविध आराधना कर के इस मानवभव को सफल करूं, ता कि यहाँ की भरचक धर्म करणियों से यहाँ का अंतिम काल भी इस प्रकार सुखद आये, "चलो अच्छा हुआ मैंने भरचक धर्म- साधनाएँ की है, तो अब जाने में मुझे कोई दुःख नहीं ! अच्छे स्थल पर मुझे ट्रान्सफर मिलनेवाला है / मेरी सद्गति होने वाली है / मुझे जिनेश्वर भगवान व जैनशासन मिलने 1628