________________ नव तत्त्व का प्रभाव : ____ जीव, अजीव आदि नौ तत्त्वो के ज्ञान से सम्यक्त्व (सम्यगदर्शन) प्रगट होता है / इतना ही नहीं किन्तु नौ तत्त्व के विस्तृत स्वरूप को न जानने बाला भी 'ये ही तत्त्वो सत्य है' ऐसी भावसे श्रद्धा करनेवाला भी सम्यक्त्व प्राप्त करता है, क्योंकी सर्वज्ञ श्री जिनेश्वर देव के सर्व वचन सत्य ही होते हैं, एक भी वचन मिथ्या नहीं होता है।' ऐसी बुद्धि जिसके मनमें होती है, उस में सम्यग्दर्शन होता है। झूठ; राग, द्वेष अथवा अज्ञान के कारण बोला जाता है / वे सर्वज्ञ में है ही नहीं / अतः उनका कोइ भी वचन तनीक भी असत्य नहीं होता, किन्तु समस्त वचन सत्य ही होते है। एक अन्तर्मुहूर्त के लिए भी जिस को सम्यक्त्व का स्पर्श हुआ है, वह संसार में अर्धपुद्गलपरावर्त से अधिक काल तक नहीं रहता। अधिक से अधिक अवधि में वह मोक्ष में जाता ही है / अनन्त कालचक्रों का एक पुद्गल-परावर्त होता है / ऐसे अनन्त अनन्त पुद्गलपरावर्तो का अतीतकाल व्यतीत हो चुका है / इसमें अनन्तानन्त जीव मोक्ष में गए हैं / ___ जब-जब भी यह प्रश्न उपस्थित होता है कि अब तक कितने जीव मोक्ष जा चुके हैं? तब-तब जैनदर्शन का इस विषय में एक ही उत्तर है कि 'एक निगोद में विद्यमान अनंतानंत जीवों की संख्या के अनन्तवें भाग जितनी ही संख्या अब तक मुक्त हुए जीवों की है।' 0 1600