________________ (1) द्रव्य से व्युत्सर्ग-४ प्रकार का है___(i) गणत्याग, यानी विशिष्टज्ञान, तपस्या आदि के लिए आचार्य की अनुज्ञा से एक समुदाय छोडकर दूसरे गच्छ में जाना; अथवा जिनकल्प आदि साधनार्थ गणको छोड़कर जाना / ___(ii) देहत्याग-कायोत्सर्ग, यानी अंतिम पादपोगमन अनशन अथवा सजीव-निर्जीव का उचित स्थल पर त्याग / (iii-iv) उपधि और आहार-त्याग, सदोष अथवा अधिक वस्र, पात्र और आहार का विधि के. अनुसार निर्जीव, एकान्त स्थल में त्याग | (2) भाव व्युत्सर्ग, - यानी कषाय, कर्म और संसार का त्याग | (19) मोक्ष यहां तक जीव-अजीव-पुण्य-पाप-आश्रव-संवर-बन्ध-निर्जरा, इन आठ तत्त्वों पर विचार किया / अब नौवे 'मोक्ष' तत्त्व पर विचार करें / 'मोक्ष' यह जीव की शुद्ध अवस्था है / कर्मसंयुक्त जीव की अशुद्ध अवस्था यह संसार है / जीव का सर्व कर्मो से वियुक्त अनंतज्ञान-दर्शन-सुख-वीर्यमय शुद्ध स्वरूप यह मोक्ष है / अनादि अनंत काल से जीव मिथ्यात्व-अविरति-कषाय-योग-प्रमाद 21460