________________ 157 પરિશિષ્ટ 4 शेषाण्यभक्ष्याणि प्रतीताति, अनन्तकायनामानि प्रागुक्तान्येव / आर्त्तरौद्राभिधे ध्याने 3, प्रमादाचरणं 4 तथा // 709 // चतुर्भेदादित्यनर्थ-दण्डाद्यद्विनिवर्त्तनम् / श्रावकाणां तदाख्यातं, तातीयिकं गुणव्रतम् // 710 // विषयाश्च कषायाश्च, निद्रा च विकथापि च / मद्यं चेति परित्याज्याः, प्रमादाः पञ्च सात्त्विकैः // 711 // राज्ञां स्त्रीणां च देशानां, भक्तानां विविधाः कथाः / सङ्ग्राम 1 रूप 2 सद्वस्तु ३-स्वादा 4 द्या विकथाः स्मृताः॥७१२॥ मुहूर्तावधि सावद्य-व्यापारपरिवर्जनम् / आद्यं शिक्षाव्रतं सामा-यिकं स्यात्समताजुषां // 713 // चतुर्दशानां सङ्क्षपो, नियमानामुतान्वहम् // 714 // ते चामी - सचित्त 1 दव्व 2 विगई 3 वाणह ४तंबोल 5 वत्थ 6 कुसुमेसु 7 / वाहण 8 सयण 9 विलेवण 10 बंभ 11 दिसि 12 न्हाण 13 भत्तेसु 14 // 715 // (छाया - सचित्त 1 द्रव्य 2 विकृति 3 उपानत् 4 ताम्बूल 5 वस्त्र 6 कुसुमेषु 7 / वाहन 8 शयन 9 विलेपन १०ब्रह्म 11 दिग् 12 स्नान 13 भक्तेषु 14 // 715 / / ) पोषं धर्मस्य धत्ते य-त्तद्भवेत्पौषधव्रतम् / आहार 1 देहसत्कारा २-ब्रह्म 3 व्यापार 4 वर्जनम् // 716 //