________________ 149 ------------------ श्रीयतिदिनचर्या अवचूर्णियुता धार्यमाणस्वरूपमिति 22 / एते नामतो द्वाविंशतिः परीषहाः // 43 // // 44 // अप्राप्ते पौरुषीसमये सा कथं दृश्यते इत्याशङ्क्याह - ------------------------------ / ---------- // 45 // अर्थः तथा समये-काले प्राप्ते सूर्यं दक्षिणे श्रवणे-कर्णे कृत्वाविधाय दक्षिणजानौ अङ्गुलीधृत्वा प्रतिलेखनासमयं जानीत, उक्तं च - "सूरं दाहिणसवणे दक्खणजाणुंमि अंगुली काउं / पढमपयंपि गणिज्जा तं जाण पडिलेहणासमयं // 1 // " // 45 // पश्चिमप्रहरप्रतिलेखनायन्त्रकम्-पौरुषीछायाप्रमाणम् मास | प० / अं० و ا 0 | आषाढ ہ ہ . ہ श्रावण भाद्रवउं आसो कार्तिक س 0 8 سہ मार्ग० . سہ पौष 0 ه س माघ फागुण س चैत्र س . سے वैशाख ज्येष्ठ یہ c