________________ 130 श्रीयतिदिनचर्या अवचूर्णियुता "मज्जे महंमि मंसंमि नवणीयंमि चउत्थए / उप्पज्जंति असंखा, तव्वन्ना तत्थ जंतुणो // 1 // " शेषाश्च भक्ष्याः, शेषाणि च निर्विकृतिगतानि, तानि चामूनि"अह पेया 1 दुट्टिी 2 दुद्धवलेही य 3 दुद्धसाडी य 4 / पंच य विगइगयाइं दुद्धंमी खीरसहियाइं 5 // 1 // अंबिलजुअंमि दुद्धे दुद्धट्टी दक्खमीसरदमि / पयसाडी तह तंडुलचुन्नसिद्धमि अवलेही // 2 // " एतानि पञ्च दुग्धविकृतिगतानि / अथ दधिविकृतिगतान्युच्यन्ते"दहिए विगइगयाइं घोलवडा 1 घोल 2 सिहरिणि 3 करंबो 4 / लवणकणदहियमहियं 5 संगरिगाइंमि अप्पडिए // 1 // " अथ पञ्च घृतविकृतिगतान्युच्यन्ते"पक्कघयं 1 घयकिट्टी 2 पक्कोसह उवरि तरिय सप्पिं च 3 / निब्भंजण 4 वीसंदणगा य 5 घयविगइ विगयगया // 1 // " अथ तैलस्य पञ्च विकृतिगतानि - "तिलमल्ली 1 तिलकुट्टी 2 अद्धतिलं 3 तहतहोसहुव्वरियं 4 / लक्खाइदव्वपक्कं तिल्लं 5 तिलंमि पंचेव // 1 // " अथ पञ्च गुडविकृतिगतानि - "अद्धकड्डिक्खुरसो 1 गुडवाणिययं च 2 सक्करा 3 खंडं 4 / पाइगुलं 5 गुडविगईविगयगयाइं च पंचेव // 1 // " अथ कटाहविकृतेः पञ्च विकृतिगतान्युच्यन्ते - "एगं एगस्सुवरि 1 तिण्होवरि बीयगं च / जं पक्कं तुप्पेणं तेणं चिय 2 तइयं गुलहाणिपभिइ 3 // 1 //