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________________ नैषधीयचरित महाकाव्यम् अनुवादः-प्रकाशस्वरूपवाले अपने किरणसमूह जैसे विकसित रक्तकमलोंसे चिह्नित करकमलवाले तथा वेगवाले सात घोड़ोंसे गमन करनेवाले सूर्यका अनु. गमन करते हैं उसी प्रकार प्रसिद्ध सौन्दर्यवाल नलके घुड़सवारोंने स्पष्ट रेखारूप कमलोंसे चिह्नित करकमलोंवाले तथा वेगवाले घोड़ेसे यात्रा करनेवाले राजा नलका अनुगमन किया // 65 // टिप्पणी-प्रकाशरूपाः = प्रकाशः रूपं येषां ते ( बहु० ) / "प्रकाशो द्योत आतपः" इत्यमरः / स्फुटाऽरविन्दाऽङ्कितपाणिपल्लवं - स्फुटे च ते अरविन्दे (क० घा० ), ताभ्याम् अङ्कितम् (तृ० त०), पाणिः पङ्कजम् इव, पाणिपल्लवम्, "उपमितं व्याघ्रादिभिः, सामान्याप्रयोगे" इससे समास / स्फटाऽरविन्दाऽङ्कितं पाणिपङ्कजं यस्य, तम् ( बहु०)। मनुजेश पक्ष-स्फुटानि च तानि अरविन्दानि (क० धा० ) / और अंश पहलेके समान / जवनाऽश्वयायिनं - जवशीलाः जवनाः, "जु" यह सौत्र ( सूत्रपठित ) धातु गति और वेग अर्थमें है, उससे "जुचक्र यदन्द्रम्यसृगधिज्वलशुचलषपतपदः" इस सूत्रसे युच् प्रत्यय, "जवनस्तु जवाऽधिकः" इत्यमरः / जवनाश्च ते अश्वाः ( क. पा० ). तः यातीति तच्छील:, तम्, जवनाऽश्व + या+णिनिः+तम् ( उपपद०)। मनुजेशपक्षमेंजवशीलः जवनः, स चाऽसौ अश्वः ( क. धा० ) / और पहलेके तुल्य / तीक्ष्णदीधिति = तीक्ष्णा दीधितिर्यस्य, तम् ( बह० ) / "भानुः करो मरीचिः स्त्रीपुंसयोर्दीधितिः स्त्रियाम्।" इत्यमरः / प्रकाशरूपा:-प्रकाशं रूपं येषां ते (बहु०)। अश्ववारा:=अश्वान् वृण्वत इति, अश्व-उपपदपूर्वक "वन वरणे" धातुसे 'कर्मण्यम्" इस सूत्रसे अण् ( उपपद०)। इसी 'अश्ववार' शब्दका अपभ्रंश हिन्दी भाषाका 'सवार' शब्द है / मनुजेशन = मनो जाता मनुजाः, मनु+जन् +डः ( उपपद० ) / मनुजानाम् ईशः, तम् (10 त०) / अन्वयुः = अनु-उपसर्गपूर्वक "या प्रापणे" धातुसे लके झि' के स्थानमें "लःशाकटायनस्यव" इस सूत्रसे विकल्पसे जुस् आदेश / एक पक्षमें "अन्वयान्" ऐसा रूप भी बनता है / इस पद्यमें पूर्णोपमा अलङ्कार है // 6 // चलन्नलकृत्य महारयं हयं स वाहवाहोचितवेषपेशलः / प्रमोदनिःष्पन्वतराक्षिपश्मभिव्यंलोकि लोकनंगरालयेर्नलः // 66 // अन्वयः-वाहवाहोचितवेषपेशल: स नलः महारयं हयम् अलङ्कृत्य चलन् प्रमोदनिष्पन्दतराऽक्षिपक्ष्मभिः नगरालयः लोक. व्यलोकि // 66 // व्याख्या-वाहवाहोचितवेषपेशल: अश्वारोहणयोग्यनेपथ्यसुन्दरः, स. पूर्वोक्तः .
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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