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________________ प्रथमः सर्गः धातुसे ड प्रत्यय / उच्चःश्रवाका भी यह पद विशेषण हो सकता है। उस पक्ष में सिन्धौ ( समुद्रे ) जायत इति / शीतमहःसहोदरं = शीतं महः ( कान्तिः ) यस्य सः शीतमहाः ( बहु० ), शीतमहसः सहोदरः, तम् ( ष० त०)। चन्द्रमा और इन्द्रका घोड़ा दोनों ही समुद्रसे उत्पन्न हैं, इसलिए वे सहोदर भाई हो गये हैं, यह तात्पर्य है। हरन्तं = हृ+लट् ( शत)+ अम् / आरुरोह आ+रह+ लिट् + तिप् / इस पद्य में श्लेष, उपमा और "श्रियं हरन्तम्" इस अंशमें अन्यकी श्री ( शोभा ) को अन्य कसे हरण करेगा इस प्रकार सादृश्यका बोधन करनेसे निदर्शना अलङ्कार है, अतः संसृष्टि है। अट्टावनवें श्लोकसे चौसठवें श्लोकतक कुल सात श्लोकोंमें परस्पर सम्बन्ध होनेसे कुलक हो गया है, जैसे कि छन्दोबद्धपदं पद्यं, तेनकेन च मुक्तकम् / द्वाभ्यां तु युग्मकं, सन्दानितकं त्रिमिरिष्यते / / . कलापकं चतुर्भिश्च, पञ्चभिः कुलकं मतम् // सा० 80 6-302 अर्थात् छन्दोबद्ध पदवालोंको “पद्य" कहते हैं। दूसरे पद्यसे असम्बद एक पद्यको "मुक्तक", दो पदोंमें परस्पर सम्बन्ध होनेसे "युग्मक'' और तीन पयोंमें "सन्दानितक" कहते हैं / सन्दानितकको ही कोई विशेषक और कोई "तिलक" भी कहते हैं। चार श्लोकोंमें परस्पर सम्बन्ध रहनेसे “कलापक" और पांच श्लोकोंमें वा उनसे अधिक श्लोकोंमें परस्पर सम्बन्ध रहनेसे "कुलक" कहते हैं / 64 // . . निजा मयूखा इव तोदणदीधिति स्फुटारविन्दाद्वितपाणिपकूवम् / तमश्ववारा अवनाऽश्वयायिनं प्रकाशरूपा मनुजेशमन्ययुः // 15 // अन्वयः-प्रकाशरूपा निजा मयूखाः स्फुटारविन्दाङ्कितपानिपङ्कजं जव. नाऽश्वयायिनं तीक्ष्णदीधितिम् इव प्रकाशरूपा निजा अश्ववाराः स्फुटाऽरविन्दाऽ. खितपाणिपङ्कजं जवनाऽश्वयायिनं तं मनुजेशम् अन्वयुः / / 65 // व्याख्या-प्रकाशरूपाः = द्योतस्वरूपाः, निजाः = स्वकीयाः, मयूखा: - किरणाः, स्फुटारविन्दाङ्कितपाणिपल्लवं = विकसितरक्तकमलचिह्नित करकमलं, जवनाऽश्वयायिनं = वेगयुक्तसप्तहयगामिनं, तीक्ष्णदीधितिम् इव = सूर्यम् इव, प्रकाशरूपाः - प्रसिद्ध सौन्दर्याः, निजाः = आत्मीयः, अश्ववाराः = हयारोहाः, स्फुटाऽरविन्दाक्षितपाणिपङ्कजं = व्यक्तरेखारूपकमलचिह्नितकरकमलं, जबनाऽश्वयायिनं = वेगवद्धहयगामिनं, तं - पूर्वोक्तं, मनुजेशं = मरपति, नलमित्यर्थः / अन्वयुः = अनुगतवन्तः // 7 //
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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