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________________ 216 नैषधीयचरितं महाकाव्यम् व्याख्या-तद्धर्यमनोभवाभ्यां = नलधृतिकामाभ्याम्, तां - प्रसिद्धां, भैमीम् एव = दमयन्तीम् एव, भूमी = रणभूमिम्, अवलम्ब्य = प्राप्य, अयोधि = युद्धम् अकारि / यत्र = युद्धभूमी, दमयन्तीरूपायामिति भावः / अन्तः = मध्ये, छिन्नं द्विधाभूतं, ध्रुवौ = दमयन्तीध्रुवौ एव, स्मरचापं = कामकार्मुकं ( कर्तृ ), तज्जयभङ्गवाता = नलधैर्यविजय-मनोभवपराजयवृत्तान्तम्, आह स्म = ब्रवीति स्म, स्मरचापभङ्गात्स्मर एव भग्न इति भावः / नलः कथंचित्कामं निरुध्य धैर्य मेवाऽवलम्बितवानिति भावः // 53 // . ___ अनुवाद:-नलके धैर्य और कामदेव ने दमयन्तीरूप युद्धभूमिका अवलम्बन कर युद्ध किया। जिस युद्धभूमिमें बीचमें छिन्न दमयन्तीके भ्रूरूप कामदेवके धनुने नलके धर्यकी जय और कामदेवकी पराजयके वृत्तान्तको बतलाया / / 53 // टिप्पणी * तद्धर्यमनोभवाभ्यां = तस्य ( नलस्य ) धैर्यम् (10 त०), तद्धर्य च मनोभवश्च, ताभ्याम् ( द्वन्द्व० ) / भूमी = "कृदिकारादक्तिनः" इससे डीप् / अयोधि = युध् + लुङ् (भावमें)+त / स्मरचापं = स्मरस्य चापं, (ष० त०)। तज्जयभङ्गवार्ता = जयश्च भङ्गश्च जयभङ्गो ( द्वन्द्व० ) / तयोः (धर्यमनोभवयोः) जयभङ्गो (ष० त० ), तयोर्वार्ता, ताम् (10 त० ) / आह स्म = ब्रू ( आह ) धातुसे 'स्म' के योगमें भूत अर्थमें लट् / दमयन्तीको देखनेपर भी नलके धर्यकी जय और दमयन्तीके भ्रूद्वयरूप धनु के मध्यमें छिन्नत्वरूप अपने भङ्गसे कामचापने कामदेव के भङ्ग ( पराजय ) की वार्ताकी सूचना दी यह भाव है / नलने किसी तरह कामदेवका निरोध करके धैर्यका अवलम्बन किया यह तात्पर्य है / इस पद्यमें पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध में दो व्यस्त रूपकोंकी संसृष्टि है / / 53 // अथ स्मराऽऽज्ञामवधीर्य धर्यादूचे स तद्वागुपवीणितोऽपि / विवेकधाराशतधौतमन्तः सतां न कामः कलुषीकरोति // 54 // अन्वयः-अथ स तद्वागुपवीणितोऽपि धैर्यात् स्मराऽऽज्ञाम् अवधीर्य ऊचे / तथा हि-विवेकधाराशतधौतं सताम् अन्तः ( कर्म ) कामो न कलुषीकरोति / / 54 // व्याख्या- अथ = अनन्तरं, सः = नल:, तद्वागुपवीणितोऽपि = दमयन्ती. वाग्वीणया उपगीतोऽपि, दमयन्तीवागवीणया आकृष्टचित्तोऽपीति भावः / धैर्यात् = धर्यं विधाय, स्मराज्ञां = कामाज्ञाम्, अवधीर्य = अवज्ञाय, ऊचे = उवाच। तथा हि। विवेकधाराशतधौतं = भेदज्ञानप्रवाहशतप्रक्षालितं, सतां =
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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