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________________ तृतीयः सर्ग: यहाँपर प्रकृत और अप्रकृतके अभेदाऽध्यवसायसे हंसमें आरोप्यमाण उशीरका प्रकृतिके साथ तादात्म्यसे चन्दनकृत्यस्वरूप प्रकृत कार्य में उपयोग होनेसे परि. णाम अलङ्कार है, इस प्रकार सङ्कर अलङ्कार है // 90 // अलं विलम्ब्य, त्वरितं हि वेला, कायें किल स्वयंसहे विचारः। गुरूपदेशं प्रतिभेव तीक्ष्णा प्रतीक्षते जातु न कालमतिः // 61 // अन्वयः-( हे हंस ! ) विलम्ब्य अलं, हि त्वरितुं वेला। स्थर्यसहे कार्ये विचारः किल / हि तीक्ष्णा प्रतिभा गुरूपदेशम् इव अतिः जातु कालं न प्रतीक्षते // 91 // व्याल्या-(हे हंस ! ) विलम्ब्य=विलम्बं कृत्वा, अलं=पर्याप्तं, न विलम्बः कर्तव्य इति भावः / हि=यस्मात्कारणात्, त्वरितुं त्वरां क्तुं, वेलाकालः, अयं त्वरायाः काल इति भावः / स्थैर्यसहे=विलम्बसहे, कार्य== कर्मणि, विचारः विमर्शः, किल=निश्चयेन / अर्थान्तरन्यासेनोक्तमथं द्रढयतिगुरूपदेशमिति / हि= यस्मात्कारणात, तीक्ष्णा-तीवा, शीघ्रग्राहिणीति भावः। प्रतिभा प्रज्ञा, गुरूपदेशम् इव =आचार्योपदेशम् इव, अति:=पीडा, जातु= कदाऽपि, कालं =समयं, न प्रतीक्षतेन प्रतीक्षा करोति, पीडा कालक्षेपं न . सहत इति भावः // 9 // .. - अनुवाद-( हे हंस ! ) विलम्ब नहीं करना चाहिए, शीघ्रता करनेका यह समय है / विलम्ब सहनेवाले कर्ममें विचार किया जाता है, क्योंकि तीक्ष्ण बुद्धि जैसे गुरुके उपदेशकी प्रतीक्षा नहीं करती हैं, वैसे ही पीडा कालकी प्रतीक्षा नहीं करती है / / 91 // टिप्पणी-विलम्ब्य=वि+लबि+ क्त्वा ( ल्यप् ), यहाँपर "अलम्" इस पदके योगमें "अलंखल्वोः प्रतिषेधयोः प्राचां क्त्वा" इस सूत्रसे क्त्वा प्रत्यय होकर ल्यप् आदेश हुआ है / त्वरितुं-त्वरा+तुमुन्, यहाँपर "वेला" पदके योगमें "कालसमयवेलासु तुमुन्" इस सूत्रसे तुमुन् प्रत्यय हुआ। स्थैर्यसहेस्थैर्य सहत इति स्थैर्यसहं, तस्मिन्, स्थैर्य + सह+अच् (उपपद०)। गुरूपदेशं गुरोरुपदेशः, तम् (ष० त०)। अतिः "अतिः पीडाधनुष्कोट्योः" इत्यमरः / प्रतीक्षतेप्रति + ईक्ष + लट्+तिप् / इस पद्यमें उपमा और अर्थान्तरन्यासकी संसृष्टि है / / 91 // अभ्यर्थनीयः स गतेन राजा स्वया न शुद्धान्तगतो मदर्थम् / प्रियाऽऽस्यबाक्षिण्यबलात्कृतो हि तबोरयेबन्यवधूनिषेधः // 12 //
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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