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________________ 100 नेवधीयचरितं महाकाव्यम् .. अन्वयः-तत्र शशिदृषदुपक्लुप्तः ( अत एव ) विधुकरपरिरम्भात् आत्तनिष्यन्दपूर्णः तरूणाम् आलवालः विफलितजलसेकप्रक्रियागौरवेण भैमीवनेन स हतचित्तो व्यरचि // 106 // व्याख्या-तत्रतस्यां, कुण्डिननगर्याम् / शशिदृषदुपक्लप्तः= चन्द्रकान्तशिलानिर्मितः, अत एव, विधुकरपरिरम्भात् = चन्द्रकिरणसम्पाद, आत्तनिष्यन्दपूर्णः-गृहीतजलप्रस्रवणपूरितः, तरूणां-वृक्षाणाम्, आलवाल: आवापः, विफलितजलसेकप्रक्रियागौरवेण-व्यर्थीकृतसलिलसेचनप्रकारभारेण, भैमीवनेनदमयन्त्युपववेन, सः= हंसः, हृतचितः-आकृष्टमनाः, व्यरचि-विरचितः / 106 // ___ अनुवाद- उस कुण्डिननगरीमें चन्द्रकान्त मणियोंसे बनी हुई अतएव चन्द्रकिरणके संपर्कसे गृहीत जलसे पूर्ण पेड़ोंकी क्यारियोंसे जलसेचनकी आवश्यकतासे रहित दमयन्तीके उपवनने हंसके चित्तको आकृष्ट किया // 106 // ___ टिप्पणी-शशिदृषदुपक्लप्तः= शशिनो दृषत् (ष० त०), तया उपकलसानि, तैः (तृ० त०)। विधुकरपरिरम्भात् - विधोः कराः (10 त०), तेषां परिरम्भः, तस्मात् ( 10 त०), हेतुमें पञ्चमी / "परिरम्भः" पदका अर्थ "परिष्वङ्गः संश्लेष उपगृहनम्" अमरकी ऐसी उक्तिसे 'परिरम्भ" पदका अर्थ आलिङ्गन है, यहाँपर लक्षणासे सम्पर्क अर्थ किया गया है / आत्तनिष्यन्दपूर्णःआत्ताश्च ते निष्यन्दाः (क० धा) / "आत्म०" ऐसे पाठमें आत्मनः= स्वस्य, निष्यन्दाः (ष० त०)। ऐसा अर्थ करना चाहिए / आत्तनिष्यन्दैः पूर्णानि, तैः ( तृ० त० ) / विफलितजलसेकप्रक्रियागौरवेण=विफलं कृतं विफलितम्, विफल + णिच्+क्तः / जलस्य सेकः ( ष० त० ), तस्य प्रक्रिया ( 10 त० ), तस्या गौरवम् (प० त० ) / विफलितं जलसेकप्रक्रियागौरवं यस्य तत्, तेन ( बहु० ) / भैमीवनेन = भैम्या वनं, तेन (ष० त०)। हृतचित्तः हृतं चित्तं यस्य सः ( बहु० ) / व्यरचि= वि+ रचलङ्+त ( कर्ममें)। इस पद्यमें आलवालोंका चन्द्रकान्त मणिसे पिघले जलसे सम्बन्ध न होनेपर भी सम्बन्धकी उक्तिसे अतिशयोक्ति अलङ्कार है / यहाँसे चार पद्योतक मालिनी छन्द है, उसका लक्षण है-"ननमयययुतेयं मालिनी भोगिलोकः" / / 106 // अथ कनकपतत्रस्तत्र तां राजपुत्रीं ससि सदृशभासां विस्फुरन्ती सखीनाम् / उडुपरिषदि मध्यस्यायिशीतांऽशुलेखा अनुकरणपटुलक्ष्मीमक्षिलक्षीचकार // 107 //
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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