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________________ 92 नषधीयचरितं महाकाव्यम् रसनायमानयेति भावः / सुधाकरम् =अमृतनिधि, चन्द्रमित्यर्थः, बहुधाअनेकप्रकारः, लिलिहुः = आस्वादयामासुः / दिवसे सन्तप्ता रात्री शीतोपचारं कुर्वन्तीति भावः // 99 // ____अनुवाद-पराग रत्नोंसे बने हुए जिस कुण्डिननगरीके भवन, दिनभर मिले हुए सूर्यके कारण प्यासे होकर रातमें भवनकी कान्तिसे लाल रसना(जीभ ) के सदृश पताकासे चन्द्रमाको अनेक प्रकारसे आस्वादन करते थे। टिप्पणी-माणिक्यमयाः माणिक्यानां विकाराः, माणिक्य+मयट् / यदालया:-यस्याम् आलया ( स० त० ) / दिनं='कालाऽध्वनोरत्यन्तसंयोगे' इस सूत्रसे कालके अत्यन्त संयोग में द्वितीया। समीयुषा-सम्-उपसर्गपूर्वक इण् धातुसे 'उपेयिवाननाश्वाननूचानश्च' इस सूत्रमें 'उद्' इस उपसर्गके अविवक्षित होनेसे उपसर्गरहित वा अन्य उपसर्गसे युक्त इण् धातुसे क्वसु प्रत्ययान्त निपातन / सम् + इण् + क्वसु+टा। उत्तृषः= उद्गता तृट् येषां ते (बहु०), स्वरुचा=स्वस्य रुक्, तया (ष० त०) / सुधाकरं=सुधाया आकरः, तम् (10 त० ) / बहुधा=बहुभिः प्रकारः, 'बहुगणवतुडतिसंख्या' इस सूत्रसे संख्यासंज्ञा होनेसे "बहु" शब्दसे "संख्याया विधार्थे धा" इस सूत्रसे धा प्रत्यय / लिलिहुः="लिह आस्वादने" धातुसे लिट् + झि / इस पद्यमें पताकाओंके अपने शुक्लगुणका परित्याग कर माणिक्यमें स्थित अरुण गुणका ग्रहण करनेसे तद्गुण और कुण्डिनके आलयोंका चन्द्र लेहनकी उत्प्रेक्षा करने में इव आदि वाचक शब्दोंके अभावसे प्रतीयमानोत्प्रेक्षा हैं, इस प्रकार दो अलङ्कारोंका अङ्गाङ्गिभाव होनेसे सङ्कर है // 99 // लिलिहे स्वरुचा पताकया निशि जिह्वानिमया सुधाकरम् / श्रितमर्ककरः पिपासु यन्नृपसमाऽमलपंपरागजम् // 10 // अन्वयः-अमलपरागजं यन्नुपसम अर्ककरः श्रितं पिपासुः ( सत् ) स्वरुचा जिह्वानिया पताकया निशि सुधाकरं लिलिहे // 10 // व्याख्या-पूर्वोत्तमेवाऽर्थ भङ्गयन्तरेण प्रतिपादयति-लिलिह इति / अमलपपरागजं निर्मलपुष्परागरत्ननिर्मितं, यन्नृपसम=कुण्डिननगरीराजभवनम्, अर्ककरैः सूर्यकिरणः, श्रितम् =अभिव्याप्तम्, अतिसामीप्यादिति शेषः / अत एव पिपासुः तृषितं सद, स्वरुचा-स्वसदृशकान्तियुक्तया, जिह्वानिभया= रसनासदृश्या, पताकया=वैजयन्त्या, निशि- रात्री, सुधाकरं चन्द्रमसं, लिलिहे=आस्वादयामास / / 100 //
SR No.032779
Book TitleNaishadhiya Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSheshraj Sharma
PublisherChaukhambha Sanskrit Series Office
Publication Year
Total Pages1098
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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