________________ સાનસાર લા mammmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm wimmmmmmm विकल्पचषकैरात्मा पीतमोहासवोऽययम् / भवोच्चतालमुत्तालप्रपञ्चमधितिष्ठति // 5 // निर्मलं स्फटिकस्येव सहज रूपमात्मनः। अध्यस्तोपाधिसंबन्धो जडस्तत्र विमुह्यति // 6 // अनारोपसुखं मोहत्यागादनुभवन्नपि / आरोपप्रियलोकेषु वक्तुमाश्चर्यवान् भवेत् // 7 // यश्चिद्दर्पणविन्यस्तसमस्ताचारचारुधीः। क नाम स परद्रव्येऽनुपयोगिनि मुह्यति // 8 // 5 ज्ञानाष्टक मजत्यज्ञः किलाज्ञाने विष्टायामिव शूकरः। ज्ञानी निमजति ज्ञाने मराल इव मानसे // 1 // निर्वाणपदमप्येकं भाव्यते यन्मुहुर्मुहुः / तदेव ज्ञानमुत्कृष्टं निर्बन्धो नास्ति भूयसा // 2 // खभावलाभसंस्कारकारणं ज्ञानमिष्यते। . ध्यान्ध्यमात्रमतस्त्वन्यत् तथा चोक्तं महात्मना // 3 // वादांश्च प्रतिवादांश्च वदन्तोऽनिश्चितांस्तथा। तत्त्वान्तं नैव गच्छन्ति तिलपीलकवद् गतौ // 4 // खद्रव्यगुणपर्यायचर्या वर्या पराऽन्यथा / इति दत्तात्मसंतुष्टिसृष्टिज्ञानस्थितिर्मुनेः॥५॥ अस्ति चेद् ग्रन्थिभिज्ज्ञानं किं चित्रैस्तन्वयत्रणः / प्रदीपाः क्वोपयुज्यन्ते तमोघ्नी दृष्टिरेव चेत् // 6 //