SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 121
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 116 बौद्धधर्म. संचारक धर्म है। बुद्ध को मानने का प्रत्येक को अधिकार है। मातृभाव अर्थात् समवेदना और दया इन दो साधनों द्वारा रौद्ध धर्मने मनुष्य जाति को अपने पंथ में मिलाने का प्रयत्न किया है और इस सार्वजनिक बलसे लोगों में बुद्ध धर्म का प्रचार हुआ है और सामाजिक धर्म की तथा पितृ पूजा जैसे कुल धर्म की भावनाओं से वह बिलकुल अलग हो गया है और इसने जादु को तो जड़ से उखाड़ दिया है। कारण कि जहां वहां जादु देखा जाता है वहां वहां मनुष्य की इच्छाएं तृप्त करने में उसका उपयोग देखा जाता है परन्तु बौद्ध धर्म का तो मुख्य उद्देश्य ही ऐसा है कि इच्छा मात्र और उसमें जीने की इच्छा भी दुःख का मूल है / समवेदना और भ्रातृभाव में बौद्ध धर्म का संचारक बल भरा हुआ है और उस धर्म के अनुयायी इन दो सिद्धांतों को आगे रख कर बुद्ध के सत्य को स्वीकार करने तथा उसके पथ पर चलने का जनसमाज को उपदेश करते हैं। इन दो बातों को स्वीकार करने वाला मनुष्य बौद्धधर्म में दाखल हो सकता है। इस प्रकार दिव्य व्यक्ति के साथ मनुष्य का अपना स्वतंत्र संबंध होता है ऐसा बौद्धधर्म प्रतिपादन करता है। यदि बुद्ध के संप्रदाय को चलाने के लिये उसके अनुयाईओंने ईश्वर की भावना को आवश्यक माना है तो भी उन्होंने उसके मुख्य सिद्धान्तों के स्वरूप में परिवर्तन नहीं
SR No.032770
Book TitleTulnatmak Dharma Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajyaratna Atmaram
PublisherJaydev Brothers
Publication Year1921
Total Pages162
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy