________________ 984 हैमपश्चपाठी. - 1724 निकटादिषु वसति // 6477 // निकट / वृक्षमूल / श्मशान / अभ्यवकाश / आवसथ इति निकटादयः प्रयोगगम्याः // 1728 गोदानादीनां ब्रह्मचर्ये // 64 / 81 // गोदान / आदित्यव्रत / महानाम्नी इति गोदानादयः प्रयोगगम्याः। 1730 देवव्रतादीन डिन् // 3 / 4 / 83 // देवव्रत / तिलवत / अवान्तरदीक्षा / महाव्रत इत्यादयो देवव्रतादयः प्रयोगगम्याः // 1741 तस्मै योगादेः शक्ते // 3494 // योग / सन्ताप / सन्नाह / संग्राम / संयोग / संपराय / संघात / संपाद / संपादन / संक्रम / संपेश / संवेश / संमोदन / निष्पेष / निःसर्ग / निर्घोष / निसर्ग / विसर्ग / उपसर्ग। प्रवास / उपवास / सक्तु / मांस / ओदन / मांसौदन / सक्तुमांसौदन इति योगादिः // 1746 व्युष्टादिष्वण // 6499 // व्युष्ट / नित्य / निष्क्रमण / प्रवेशन / तीर्थ / संग्राम / संघात / अग्निपद / पीलुमूल / प्रवास / उपवास इति व्यष्यादिः / आकृतिगणोऽयम् // . 1768 चूडादिभ्योऽण् // 6 / 4 / 119 // चूडा / चूला / उपनयन / श्रद्धा इति चूडादयः प्रयोगगम्याः // 1770 उत्थापनादेरीयः // 64 / 111 // उत्थापन / उपस्थापन / अनुप्रवचन / अनुवाचन / अनुवदन / अनुवादन / अनुपान / अनुवासन / आरम्भण / समारम्भण इत्युत्थापनादिः // 1772 स्वर्गस्वस्तिवाचनादिभ्यो यलुपौ // 6 / 4 / 123 // स्वर्ग। यशस् / आयुस् / काम / धन इत्यादयः प्रयोगगम्याः स्वर्गादयः // ___ स्वस्तिवाचन / शान्तिवाचन / पुण्याहवाचन इत्यादयः प्रयोगगम्याः स्वस्तिवाचनादयः // 1774 ऋत्वादिभ्योऽण् // 6 / 4 / 125 // ऋतु / उपवस्तृ / प्राशितृ इति ऋत्वादयः प्रयोगगम्याः // 1809 द्विस्वरब्रह्मवर्चसाद्योऽसंख्यापरिमाणाश्वादेः // 64 / 155 // अश्व / गण / वसु / वस्त्र / ऊर्णा / उमा / भङ्गा / वर्षा / अश्मन् इत्यश्वादिः॥ 1820 वंशादेराद्धरबहदावहत्सु // 64 / 166 // वंश / कुट / कुटज / वल्वज / मूल / स्थूणा / अक्ष / अश्मन् / इक्षु / खट्वा / श्लक्ष्ण इति वंशादिः॥ 1832 दण्डादेर्यः // 64 / 178 // दण्ड। मुसल। मेधा। वध / मधुपर्क / अर्ध। मेघ / उदक / इभ / कशा / युग इति दण्डादिः // 1836 छेदादेर्नित्यम् // 6 // 3 // 182 // छेद / भेद / द्रोह / दोह। नर्त / गोनर्त / कर्ष / विकर्ष / प्रकर्ष / प्रयोग / विप्रयोग / संप्रयोग / प्रेक्षण / संप्रश्न / विप्रश्न इति छेदादिः॥ 1844 वामाद्यादेरीनः // 7 // 1 // 4 // वामधुरा / सर्वधुरा / उत्तरधुरा / दक्षिणधुरा इति वामादयः प्रयोगगम्याः //