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________________ गणपाठ हैमपञ्चपाठी. 1479 गहादिभ्यः॥३६३॥ गह / अन्तस्थ / अन्थस्था / सम / विषम / उत्तम / अङ्गमगध / शुक्लपक्ष / पूर्वपक्ष / अपरपक्ष / कृष्णशकुन / अधमशाख / उत्तम शाख / समानशाख / एकशाख / समानग्राम / एकग्राम / एकवृक्ष / एकपलाश / इष्वग्र / दन्ताय / इष्वनीक / अवस्यन्द / कामप्रस्थ / सौप्रख्य / खाडायनि / काठेरणि / काठेरिणि / लावेरणि / लावेरिणि / लावीरणि / शैशिरि। शौङ्गि। शौङ्गिशैशरि / आसुरि / आहिंसि / आमित्रि। व्याडि। भौङ्गि / भौर्जि / भौजि / आध्यश्वि / आश्वत्थि / औद्गाहमानि / औपबिन्दवि / आनिशर्मि / दैवशर्मि / श्रौति / बाटारकि / वाल्मोकि / क्षैमधृत्वि / उत्तर / अन्तर / मुखतस् / पार्श्वतस् / एकतस् / अनन्तर / आनृशंसि / साटि / सौमित्रि। परपक्ष / स्वक। देवक / इति गहादयः। बहुवचनमाकृतिगणार्थम् / 1482 वेणुकादिभ्य ईयण् // 63 // 66 // वैणुकीयः / वैत्रकीयः / औत्तरपदीयः। औत्तरीयः। औत्तरकीयः / प्रास्थीयः / प्रास्थकीयः। माध्यमकीयः।मा. ध्यमिकीयः / नैपुणकोयः / बहुवचनं प्रयोगानुसरणार्थम् / / 1494 अध्यात्मादिभ्य इकण् // 6378 // अध्यात्म भवमाध्यात्मिकम् / एव. माधिदैविकम् / आधिभौतिकम् / और्ध्वदमिकः / औदमिकः / और्ध्वदेहिकः औदेहिकः / अत एव पाठादूर्ध्वशब्दस्य दमदेहयोर्वा मोऽन्तः केचित् ऊर्ध्वदमोर्धदेहावनुशतिकादिषु पठन्त उभयपदवृद्धिमिच्छन्ति-और्ध्वदामिकः / औ दैहिकः / ऊर्ध्वमौहूर्तिकः। अकस्मात् हेतुशून्यः कालः तत्र भवमाकस्मिकम् / अमुष्मिन् परलोके भवम् आमुष्मिकम् / एव्रमामुत्रिकम् / पारत्रिकम् / इह भवमैहिकम् / शैषिकम् / पाठसामर्थ्यात् सप्तम्या अलुप् / अध्यात्मादयः प्रयोगगम्याः। 1506 भर्तुसंध्यादेरण् // 6 // 3189 // संध्या / संधिवेला / अमावास्या / त्रयोदशी। चतुर्दशो। पञ्चदशी / पौर्णमासी। प्रतिपद् / शश्वत् इति संध्यादिः। 1514 कोऽश्मादेः॥६३९३॥ अश्मन् / अशनि / आकर्ष / त्सरु / पिशाच / पिचण्ड / पाद / शकुनि / निचय / जय / नय / ह्राद / ह्लाद / इत्यश्मादिः / 1543 दिगादिदेहांशाद्यः // 6 // 3 / 124 // दिश् / वर्ग। पूग। गण। यूथ / पक्ष। धाय्या। मित्र / धाय्यमित्र / मेधा / न्याय / अन्तर् / पथिन् / रहस् / अलीक / उख / उखा / साक्षिन् / आदि / अन्त / मुख / जघन / मेघ / वंश / अनुवंश / देश / काल / वेश / आकाश / अप् इति दिगादिः। मुखज. घनवंशानुवंशानाम् अदेहांशार्थः पाठः / सेनाया यन्मुखं तत्र भवो मुख्यः / सेनाया यजघनं तत्र भवो जघन्यः। वंशोऽन्वयस्तत्र भवो वंश्यः। एवमनुवंश्यः। 1555 परिमुखादेरव्ययीभावात् // 63 / 136 // परिमुख / परिहनु / पोष्ठ / पर्युलूखल / परिरथ / परिसिर / परिसीर / उपसीर / अनुसीर / उपस्थूण / उपस्थूल / उपकलाप / उपकपाल / अनुपथ / अनुगङ्ग। अनुतिल। अनुसीत / ( अनुशीत) अनुमाष / अनुयव / अनुयूप / अनुवंश / अनुपद / इति परिमुखादिः / अनुवंशाहिगादित्वाद्योऽपि /
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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