________________ Til गणपाठः] हैमपश्चपाठी. 975 योल / केरल / आधारय / विधारय / उपधारय / मुरल। खस / शकादयः प्रयोगगम्याः / 1237 देरञणोऽप्राच्यभर्गादेः // 6 // 12123 // अप्राच्यभर्गादेरिति किम् / पाञ्चाली / वैदेही। पैप्पली / मागधी / कालिङ्गी / वैदर्भी / आङ्गी / वाङ्गी / सौझी / पौण्ड्री / शौरमसी / पाञ्चालादयः प्राच्या राष्ट्रसरूपाः क्षत्रियाः / भर्गादि-भर्ग / करूष / करूश / केकय / कश्मीर / साल्व / सुस्थाल / उरश / यौधेय / शौक्रेय / शौभ्रेय / घातॆय / धार्तेय / ज्यावानेय / त्रिगर्त / भरत / उशीनर / इति भर्गादिः / यौधेयादिज्यावानेयान्तानां स्वार्थिकस्याजो द्रेः लुप् प्रतिषिध्यते / योधेयीनां संघादि यौधेयमिति संघाद्यणर्थम् / लुपि हि सत्यामअन्तत्वाभावात् संघाचण् न स्यात् / प्रकृतस्य तु अञः प्रसङ्गाभावात् न प्रतिषेधः। भरतोशीनरशब्दावुत्सादिषु पठयेते / तयोरिहोपादानात् सत्यप्यणपवादे चेत्यस्मिन् उत्साद्यनं बाधित्वा द्रिसंज्ञक एवाञ् भवतीति ज्ञाप्यते / तेन भरतानां राजानो भरता उशीनराणामुशीनरा इति राशि विहितस्यात्र उत्तरसूत्रेण लुप् सिद्धा भवति / उत्साद्यञस्तु दिसंज्ञाया अभावान्न स्यात् / नापि ' यानः' इत्यादिना प्राप्तिः राज्ञामगोत्रत्वात् / 1242 वोपकादेः // 6 / 1 / 130 // उपक / लमक। आभ्यां नडाद्यायनणो लुप् / भ्रष्टक / कपिष्ठल / कृष्णाजिन / कृष्णसुन्दर / पिङ्गलक / कृष्णपिङ्गल / कलशीकण्ठ / दामकण्ठ / जतुक / कनक / मदाघ / अपजग्ध / अडारक / वटारक / प्रतिलोम / अनुलोम / प्रतान / अनुपद / अभिहित / अनभिहित / खारीजङ्घ / कशकृत्स्न / शलाथल / कमन्दक / कमन्तक / कवन्तक / पिझूलक / अडड्डक / अवचक / पतञ्जल / पदञ्जल / वर्णक / पर्णक / कठेरित / पभ्योऽत इञः / कुषीतक-अत्र काश्यपेऽर्थे 'विकर्णकुषीतकात्काश्यपे' इत्येयणः / अन्यत्रेञः / लेखाभूः-अत्र शुभ्राधेयणः / पिष्ट / सुपिष्ट / मसुरकर्ण / कर्णक / पर्णक / जटिलक। बधिरक / एभ्यः शिवाद्यणः। कठेलिति / पतञ्जलि। खरीखन / एभ्य औत्सर्गिकाणः / इत्युपकादिः / 1243 तिककितवादौ द्वन्द्वे // 61131 // तिककितव / उब्जककुभ / उरशलङ्कट / अग्निवेशदशेरक / शण्डिलकशकृत्स्न / उपकलमक / भ्रष्ट्रककपिष्ठल / कृष्णाजिनकृष्णसुन्दर / वङ्खरभण्डीरथ / पहकनरक / बकनख / स्वगुदपरिणद्ध / (ता) लङ्कशान्तमुख / इति तिककितवादिः / 1253 पैलादेः // 611142 // पैल / शालङ्कि / सात्यकि। सात्यंकामि / औदन्यि / औदञ्चि / औदमजि / औदवजि / औदभृजि / औदमेघि / औदशुद्धि / औदकशुद्धि / देवस्थानि / पैङ्गलौदयनि / राणि / राहमिति / भौलिङ्गि / ओगाहमानि / औजिहानि / इति पैलादिः / 1254 प्राच्येोऽतौल्वल्यादेः // 6 // 1143 // तौल्वलि / तैल्वलि / तैल्वकि।