SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 984
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गणपाठः] हैमपञ्चपाठी. केचित् पठन्ति / अन्ये तु मठराद्यकारादिमअमिच्छन्ति / माठर्यः मोठया / बहुष्वञो लुपि संनियोगशिष्टत्वात् यस्यापि निवृत्तिरिति मठराः / 1130 गर्गादेर्यञ् // 61 // 42 // गर्ग / वत्स / वाज / अज / संकृति / व्याघ्रपाद् / विदभृत् / पितृवध् / प्राचीनयोग / पुलस्ति / रेभ / अग्निवेश / शंख / शट / धूम / अवट / नमस / चमस / धनंजय / तृक्ष। विश्वावसु / जरमारण। कुरुकत। अनडुह् / लोहित / संशिति / वक्र / बभ्रु / बभ्लु / मण्डु / मक्षु / मखु / शस्थु / शङ्क। लतु। लिगु। गूहलु / जिगोषु। मनु / तन्तु / मनुतन्तु / मनायी। अणेयणोः प्राप्तावस्य पाठः। पुंवद्भावस्तु 'कौण्डिन्यागस्त्ययोः इति कौण्डिन्यनिर्देशादनित्य इति न भवति / सूनु / स्रुव / कच्छक / ऋक्ष / रुक्ष / रूक्ष / तरुक्ष / तलुक्ष / तण्डिन् / वतण्ड / कपि / कत / शकल / कण्व / वामरथ / गोकक्ष / कुण्डिनी / यज्ञवल्क / पर्णवल्क / अभयजात / विरोहित / वृषगण / रहोगण / शण्डिल / मुद्गर / मुद्गल / मुसर / मुसल / पराशर / जंतूकर्ण / मन्द्रित। अश्मरथ / शर्कराक्ष / पूतिमाष / स्थूर / स्थूरा / अरराका / पिङ्ग / पिङ्गल / कृष्ण / गोलुन्द / उलूक / तितिम्भ / भिष / भिषज / भिष्णज / भण्डित / भडित / दल्भ / चिकित / देवहू / इन्द्रहू / यज्ञहू / एकलू / पिप्पलू / पत्यलू / वृहलू / पप्फलू / बृहदग्नि / जमदग्नि / सुलामिन / कुटोगु / उक्थ / कुटल / चणक / चुलुक / कर्कट / अलापिन् / सुवर्ण / सुलाभिन् इति गर्गादिः / 1135 कुआदेयिन्यः // 61 // 47 // कुञ्ज / ब्रन / गण / भस्मन् / लोमन् / लौमायन्य / तदन्तादेव केचित् / औडुलोमायन्यः / शट / अयं गर्गादिष्वपि / शाक / शुण्डा / शुभा / विपाश् / अयं शिवादिष्वपि / स्कन्ध / स्कम्भ / शंख / अयं गर्गादावश्वादौ बिदादौ च / इति कुजादिः / 1137 अश्वादेः // 6 / 1149 // अश्व / शंख। जन। उत्स। ग्रीष्म। अर्जुन / वैल्य / अश्मन् / बिद / कुट / पुट / स्फुट / रोहिण / खर्जुल / खजूर / खजूल। पिञ्जर। भदिल / भटिल। भडिल। भण्डिल / भटक / भडित / भण्डित / प्रादृत / राम / उद / क्षान्ध / ग्रीव / रामोद / रामोदक्ष / अन्धग्रीव / काश। काण / गोल / आह्व / गोला। अर्क / स्वन / अर्कस्वन / शुन / वन / पत। पद / चक्र / कुल / ग्रीवा / श्रविष्ठा / पावित / पवित्रा / (पावित्र) पविन्दा। मोमिन् / श्याम / धूम / धूम्र / वस्त्र / वाग्मिन् / विश्वानर / विश्वतर / वत / सनख / सन / खड / जड। गद / जण्ड / अर्ह (अर्थ) वीक्ष / विशम्प। विशाल / गिरि / चपल / गिरिचपल / चुप / दासक / चुपदासक / धाय्या। धन्य / धर्म्य / पुंसिजात / शूद्रक / सुमनस् / दुर्मनस् / आतव / उत्सातव / कितव / किव / शिव / खिव / खिप / खदिर / आमा / आनडुयायन-इति यजन्तादायनणापि सिद्धथति प्राग्जितीयस्वरादी तु यूनि लुप् इति नित्यलुबर्थमस्योपादानम् / इत्यश्वादिः / अत्र योऽश्वादिर्वृद्धकाण्डेऽन्यत्रापि पठ्यते तस्य
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy