________________ सिद्धहैमबृहत्प्रक्रिया. [ आख्यातमकरणे // 173 // तच्च मिश्रीकरणं सामर्थ्य च। अवकल्पनमित्येके / कल्पयति / जमुण् नाशने // 174 // जम्भयति / अमण रोगे // 175 // आमयति / चरण असंशये // 176 // विचारयति / निश्चिनोतीत्यर्थः / भक्षणे तु चरति / पूरण आप्यायने / पूरयति // 177 // दलण विदारणे // 178 // णिगि दलयतीत्येके / दिवण् अर्दने // 179 // देवयति शत्रून् / पश पषण बन्धने // 181 // पाशयत्यश्वम् / पाषयति / दन्त्यान्तोऽयमित्येके / पुषण् धारणे // 182 // पोषयत्याभरणम् / घुषण् विशब्दने // 183 // विशिष्टशब्दकरणेनाशब्दकरणे वेत्यर्थः। अविशब्दन इत्येके। अपघोषयति पापम्-अपड्नुते इत्यर्थः। ऋदित्करणं णिचोऽनित्यत्वे लिङ्गम्। तेन अघुषत्, अघोषीत् , जुघुषुः पुष्पमाणवा इत्यादि सिद्धम् / कौशिकस्वाह-नायमृदिदिति / आङः क्रन्दे सातत्य इत्यपरे / आघोषयति। भूष तसुण अलङ्कारे // 185 / / भूषयति / अवतंसयति / जसण ताडने // 186 // त्रसण वारणे // 187 // धारण इति नन्दी। ग्रहण इत्येके / त्रासयति मृगान्-निराकरोतीत्यर्थः / वसण स्नेहच्छेदावहरणेषु // 188 // अवहरणं मारणम् / वासयत्यरीन् / ध्रसण उत्क्षेपे // 189 / / उच्छ इत्यन्ये / ध्रासयति / उकारादिरयमित्येके / ग्रसण ग्रहणे // 19 // ग्रासयति फलम् / लसण शिल्पयोगे // 191 / / लासयति दारु / शान्तोऽयमित्येके / षान्तोऽयमित्यपरे / अर्हण पूजायाम् // 192 अर्हयति / आर्जिहत् / मोक्षण असने // 193 // मोक्षयति शरान् / अस्यतीर्यः / लोक तर्क रघु लघु लोच विच्छ अजु तुजु पिजु लजु लुजु भजु पट पुट लुट घट घटु वृत पुथ नद वृध गुप धूप कुप चिव दशु कुशु त्रसु पिसु कुसु दसु बर्ह बृहु बल्ह अहु बहु महुण भाषार्थाः // 230 // भासार्था इति पारायणम् / // इति परस्मैपदिनः // // अथात्मनेपदिनः // युणि जुगुप्सायाम् // 231 // यावयते धर्म जाल्मः / अन्यत्र यौति / युनाति / युनीते। युजिरयमित्येके / योजयते / गृणि विज्ञाने // 232 // गारयते / विज्ञापन इत्येके / कृणीति चन्द्रः / कारयते / वनि प्रलम्भने // 233 // वश्चयते / कुटिण् प्रतापने // 234 // मदिण तृप्तियोगे॥२३५।। तृप्तिशोधन इत्यन्ये / मादयते / विदिण् चेतनाख्याननिवासेषु // 236 // विवादेऽप्यन्ये / वेदयते / मनिण स्तम्भे // 237 //