________________ चुरादयः] सिद्धहैमबृहत्मक्रिया. 675 निकेतनेषु // 17 // क्षजुण कृच्छ्रजीवने // 18 // सञ्जयति / पूजण पूजायाम् // 19 // पूजयति / अपूपुजत् / गज मार्जण् शब्दे // 21 // मर्चमर्जावप्येके पठन्ति / तिजम् निशाने // 22 // तेजयति। वज व्रजण मार्गणसंस्कारगत्योः // 23 // मार्गणो बाणस्तस्य संस्कारे गतौ चेत्यर्थः। वाजयति / ब्राजयति / रुजण हिंसायाम् // 24 // नटण अवस्यन्दने // 25 / / चौरस्योन्नाटयति / नृत्तौ घटादित्वाद् इस्वः / तुट चुट चुटु छुटुण् छेदने // 29 // तोटयति / चोटयति / चुण्टयति / छुण्टयति / कुट्टण् कुत्सने च // 30 // पुट्ट चुट्ट पुट्टण अल्पीभावे // 33 // पुट मुटण संचूर्णने // 35 // अट्ट स्मिटण अनादरे // 37 // 365 न बदनं संयोगादिः // 4 / 1 / 5 // स्वरादेर्धातोद्वितीयस्यावयवस्यैकस्वरस्य बकारदकारनकाराः संयोगस्यादौ दिन स्युः। आहिटत् / अट्ट अल्पीभाव इत्यन्ये / बदनमिति किम् / ईचिक्षिषते / संयोगादिरिति किम् / पाणिणिषति / लुण्टण स्तेये च // 38 // लुण्टयति / अलुलुण्टत् / स्निटण स्नेहने // 39 // स्नेटयति। घट्टण चलने // 40 // खट्टण संवरणे // 41 // षट्ट स्फिटण हिंसायाम् // 43 // प्रथमो बलदाननिकेतनेष्वपीत्येके / द्वितीयोऽनादर इत्यन्ये // स्फुटण परिहासे / // 44 // कीटण वर्णने // 45 // बन्ध इत्यन्ये / वटुण विभाजने // 46 // वण्टयति / डान्तोऽयमित्येके / रुटण रोषे // 47 // रोटयति / शठ श्वठ श्वठुण संस्कारगत्योः / // 50 // शाठयति / श्वाठयति / श्वण्ठयति / शुठण आलस्ये // 51 // शोठयति / शुठुण शोषणे // 52 // शुण्ठयति / गुठुण वेष्टने // 53 // गुण्ठयति / अवगुण्ठति / लडण् उपसेवायाम् // 54 // लाडयति / लत्वे लालयति / स्फुडण् परिहासे // 54 // स्फुण्डयति / ओलडुण उत्क्षेपे // 55 // ओलण्डयति। ओदिदयमित्येके / लण्डयति / पीडण् गहने // 56 // पीडयति / 366 भ्राजभासभाषदीपपीडजीवमीलकणरणषणभणश्रणहवहेठलुटलुपलपां नवा // 4 / 2 / 36 // एषां उपरे णौ उपान्त्यस्य इस्वो वा स्यात् / अपीपिडत् / अपिपीडत् / बहुवचनं शिष्टप्रयोगानुसारेण अन्येषामपि परिग्रहार्थम् / सडण् आघाते // 17 // वाडयति / खड खड्डण् भेदे // 59 // खाडयति। वण्डयति / कडण् खण्डने च। खुडुण् इत्येके // 30 // कुहुण् रक्षणे // 61 // कुण्डयति / गुडण् वेष्टने च // 62 // चुडुण् छेदने // 63 / / मडुण भूषायाम् // 64 // भडण कल्याणे // 65 // दान्तोऽयमित्येके। पिडुण संघाते // 66 // पिण्डयति /