________________ 564 सिद्धहैमबृहत्पक्रिया. [आख्यातप्रकरणे ममजिथ / ममथ / मज्ज्यात् / मङ्क्ता / मझ्यति / आदेशकरणं मग्न इत्यादौ नलोपार्थम् / जर्ज झझत् परिभाषणे // 27 // जर्जेति / झर्झति / उज्झत् उत्सर्गे // 28 // दोपान्त्योऽयम् / उज्झाश्चकार / जुडत् गतौ // 29 // जुडति / अजोडीत् / पृड मृडत् सुखने // 31 // पृडति / अपर्डीत् / मृडति / मर्डिता / कडत् मदे // 32 // भक्षणेऽयमित्येके / कुटादिरयमित्यन्ये / अकाडीत् / अकडीत् / पृणत् पीणने // 33 // तुणत् कौटिल्ये // 34 // मृणत् हिंसायाम् // 36 // गुणत गतिकौटिल्ययोश्च // 36 // पुणत् शुभे // 37 // मुणत् प्रतिज्ञाने // 38 // कुणत् शब्दोपकरणयोः // 39 // घुण घूर्णत् भ्रमणे // 41 // घुणति / घूर्णति / तत् हिंसाग्रन्थयोः // 42 // चूतति / चर्तिष्यति / चर्पति। णुदत् प्रेरणे // 42 // नुदति / षद्लँत् अवसादने // 44 // श्रौतीत्यादिना सीदादेशे सीदति / असदत् / ससाद / सेदतुः। ज्वलादौ पठितस्यापीह पाठोऽवर्णादश्न इति वान्तादेशार्थः / सीदती। सीदन्ती / ज्वलादिपाठस्तु णविकल्पार्थः / सादः सदः / विधत् विधाने // 45 // अवेधीत् / जुन शुनत् गतौ // 47 // जुनति / जुजोन / शुनति। रिफत् कथनयुद्धहिंसादानेषु // 48 // रिफति / खरादिरयमित्यन्ये / ऋफति / तृफ तुम्फन तृप्तौ // 50 // मुचादितृफेति ने तृम्फति / विधानबलान्नस्य लुग्न / अन्यस्य तु लुग्भवत्येव / तृफति / ततर्फ / ततृम्फ / पान्तावेतावित्यन्ये। शे नलुकं च नेच्छन्ति / तृपति। तृभ्पति। ऋफ ऋम्फत् हिंसायाम // 52 // ऋफति / आनर्फ। नलुकं नेच्छन्त्येके / ऋम्फति / इकारोपान्त्यो रादिश्चायमित्येके / दृफ दृम्फत् उत्क्लेशे // 54 // शे मुचादीति ने दृम्फति। ददर्फ / दृफति / ददृम्फ / दृफ्यात् / उभ उम्भत् पूरणे // 56 // उम्भति। उवोभ / उभति / उम्भाञ्चकार / उभ्यात् / शुभ शुम्भत् शोभार्थे / / 58 // शुम्भति / शुशोभ / शुभति। शुशुम्भ / दभैत् ग्रन्थे // 19 // दभति / ददर्भ। लुभत् विमोहने // 60 // विमोहनं व्याकुलीकरणम् / लुभति / लुलोभ / लोभिता। लोब्धा / कुरत् शब्दे // 31 // कुरति / क्षुरत् विलेखने // 62 // क्षुरति / चुक्षोर / खुरत् छेदने च // 63 // चाद् विलेखने / घुरत् भीमार्थशब्दयोः // 64 // पुरत् अग्रगमने // 65 // मुरत् संवेष्टने // 66 // सुरत् ऐश्वर्यदीप्त्योः // 67 // सुरति / अषोपदेशत्वात् षत्वाभावे सुसोर / पोपदेशोऽयमित्येके / स्फर स्फलत् स्फुरणे // 68 // स्फरति / पस्फार / किलत् श्वैत्यक्रीडनयोः // 69 // इलत् गतिस्वनक्षेपणेषु // 70 // इलति / इयेल / हिलत् हावकरणे // 71 // शिल सिलत् उच्छे // 73 // सिलति / अषोपदेशत्वान्न पः।