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________________ 562 सिद्धहैमबृहत्मक्रिया. [आख्यातमकरणे कृतैत् छेदने // 1 // कृन्तति / अकर्तीत् / कतिष्यति / कर्त्यति / खिदंत परिघाते // 2 // खिन्दति / अखैत्सीत् / पिशत् अवयवे // 3 // पिंशति / अपेशीत् / // वृत् मुचादिः // रिं पित् गतौ // 2 // रियति / पियति / धित् धारणे // 3 // धियति / क्षित् निवासगत्योः // 4 // शियति / अझैषीत् / पूत् प्रेरणे // 6 // सुवति / उपसर्गात्सुगिति षत्वे अभिषुवति / अभ्यषुवत् / अभिसुषाव / सविता / मृत् प्राणत्यागे // 6 // 334 म्रियतेरद्यतन्याशिषि च // 3 // 3 // 42 // म्रियतेरद्यतन्याशीविषयाछिद्विषयाच कर्तर्यात्मनेपदं स्यात् / रिः शक्याशीर्य इति रित्वे इयादेशे च / म्रियते / अमृत / ममार / मृषीष्ट / मर्ता / मरिष्यति / अमरिष्यत् / तिन्निर्देशाद् यङ्लुपि न / कृत् विक्षेपे // 7 // किरति / - ___335 किरो लवने // 4 / 4 / 94 // उपात् परस्य किरतेः सडादिः स्यात् लवने-लवनविषयश्चेत्तदर्थः। उपस्किरति / लुनातीत्यर्थः। लवन इति किम् / उपकिरति पुष्पम् / ____336 प्रतेश्च वधे // 4.4 / 95 // प्रतेरुपाच परस्य किरतेर्वधे हिंसायां विषयेऽभिधेये वा सडादिः स्यात् / प्रतिस्किरति / उपस्किरति / अभिधेये-'उरोविदारं प्रतिचस्करे नखैः'। हत इत्यर्थः। वध इति किम् / प्रतिकिरति बीजम् / विक्षिपतीत्यर्थः / गृत् निगरणे // 8 // 55 337 नवा स्वरे // 2 / 3 / 102 // गिरते रेफस्य स्वरादौ प्रत्यये विहितस्य लकारो वा स्यात् / गिरति। गिलति / अगारीत् / अगालीत् / गीर्यात् / गरिता। गरीता / विहितविशेषणं किम्। इह च यथा स्यात् निगार्यते / निगाल्यते / इह च मा भूत् / गिरौ / गिरः। लिखत् अक्षरविन्यासे // 9 // लिलेख / लेखिता / कुटादिरयमि त्येके। तन्मते लिखिता। जर्च झर्चत् परिभाषणे॥११॥जर्चति / झर्चति / चादिरयमित्येके / चर्चति। खचत् संवरणे। // 12 // खचति। तत्वाच / ऋचत् स्तुतौ // 13 // ऋचति / आनर्च / आनृचतुः। ओवश्वौत् छेदने // 14 // वृश्चति / औदित्वाद्वेट् / अब्रवीत् / अवाक्षीत् / वत्रश्च / वश्चिय / वतृष्ठ / वृश्यात् / व्रश्चिता / व्रष्टा /
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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