________________ 655 दिवादयः] सिद्धहैमबृहत्मक्रिया. पूडौच पाणिप्रसवे // 1 // सूयते / असविष्ट। असोष्ट / सुषुवे। औदित्त्वादिविकल्पं बाघिसा उवर्णादितीग्निषेधे प्राप्ते परखात् स्कृवित्यादिना नित्यमिट् / सुषुविषे / सुषुविवहे / सविता / सोता / सविष्यते / सोष्यते। दूङ्च् परितापे // 2 // दीङ्च् क्षये // 3 // दीयते। 313 यबङ्किति // 4 / 27 // दीडो यपि अक्ङिति च प्रत्यये विषयभूते आकारोऽन्तादेशः स्यात् / अदास्त / विषयसप्तमीनिर्देशात् पूर्वमेवात्वे सति ईपदु'पादानः उपादायो वर्तते इत्यत्र आकारान्तलक्षणोऽनः घञ् च भवति / यबक्ङितीति किम् / दीनः / उपदीयते / सानुबन्धनिर्देशाद् यङ्लुपि न। __ 314 दीय दीङः क्ङिति स्वरे // 4 / 3 / 93 // दीङः ङित्यशिति स्वरे परे दीयादेशः स्यात् / परोक्षायामिति सिद्धे क्ङिति स्वरे इत्युत्तरार्थम् / दिदीये / दिदीयाते / दिदीयिरे / दिदीयिध्वे / दिदीयिवे / दीङो ङित्करणं यङ्लुबनित्यर्थम् / दाता / दास्यते / धीच् अनादरे // 54 // धीयते / अधेष्ट / दिध्ये / धेता। मीञ्च् हिंसायाम् // 5 // मीयते। रीच् श्रवणे ||5 // लींच् श्लेषणे // 7 // 315 लीलिनोर्वा // 4 / 2 / 9 // लीयतेलिनातेश्च यपि खलचल्वजिते ङिति प्रत्यये च विषयभूते आकारोऽन्तादेशो वा स्यात् / अलास्त / अलेष्ट / लिल्ये / लाता / लेता / लास्यते / लेष्यते / अखलचलीत्येव / ईषद्विलयः विलयः विलयो वर्तते / यवक्डिन्तीत्येव / लीनः। लीयते। डिल्लुप्ततिवो निर्देशाद् यङ्लुपि न / ली द्रवीकरण इति यौजादिकस्य च न / डीच् गतौ // 8 // डीयते / डिड्ये / बीच वरणे // 9 // बीयते / अब्रेष्ट / वित्रिये / वृत्स्वादिः। तत्फलं तु क्तयोस्तस्य नत्वम् / पींच् पाने // 10 // पीयते / ईञ्च् गतौ // 11 // ईयते / अयाश्चक्रे / पीङ्च प्रीतौ // 12 // प्रीयते / युजिच् समाधौ // 14 // युज्यते / अयुक्त / सृजिच् विसर्गे // 14 // सृज्यते / असृष्ट / असृक्षाताम् / सूक्षीष्ट / ससृजे। समृजिषे / स्रष्टा / स्रक्ष्यते / वृतूचि वरणे // 15 // वृत्यते / अवर्तिष्ट / पदिच् गतौ // 16 // पद्यते / प्रणिपद्यते / 316 त्रिच ते पदस्तलुक् च // 3 / 4 / 66 // पदिच् गतावित्यस्माद्धातोः कर्तर्यद्यतन्यास्ते परे बिच् प्रत्ययः स्यात् निमित्तभूतस्य तकारस्य च लुक् / पदेरात्मनेपदित्वात् त इति आत्मनेपदपथमत्रिकैकवचनं तकारो गृह्यते न परस्मैपदम