________________ 554 सिद्धहैमबृहत्पक्रिया. [आख्यातप्रकरणे 311 नासत्त्वाश्लेषे // 3 // 4 // 57 // श्लिषो धातोरपाण्या लेषे वर्तमानात् सक् प्रत्ययो न स्यात् / उपाश्लिषज्जतु च काष्ठं च / समाश्लिषद् गुरुकुलम् / पृथग्योगात् पूर्वेणापि प्राप्तः प्रतिषिध्यते / व्यत्यश्लिक्षन्त काष्ठानि / असत्त्वा लेष इति. किम् / व्यत्यश्लिक्षन्त मिथुनानि / प्लुष्यति / अप्लुषत् / अनूदिदयमित्येके। जितृषच् पिपासायाम् // 68 // तृष्यति / अतृपत् / तुषं हृषच् तुष्टौ // 70 // रुपंच रोषे / / 71 // प्युष प्युस् पुसच् विभागे // 74 // बिसच् प्रेरणे // 7 // कुसच् श्लेषणे // 76 // असूच क्षेपणे / / 77 // अस्यति / पुष्यादित्वादङि 'श्वयत्यम्' इत्यस्थादेशे च आस्थत् / आस / असिता / यसूच प्रयत्ने // 78 // यस्यति / यसति / संयस्यति। संयसति ! अयसत् / जसूच् मोक्षणे // 79 // हिंसार्थोऽप्ययमित्येके / तमू दमूच् उपक्षये // 81 // वमूच् स्तम्भे // 82 // वुसच् उत्सर्गे / / 82 / / मुसच खण्डने // 84 // मसैच परिणामे // 85 // शमू दमूच् उपशमे // 87 // . - 312 शम्सप्तकस्य श्ये // 4 / 2 / 111 // अत्यादाविति निवृत्तम् / शमादीनां मदैचपर्यन्तानां सप्तानां श्ये परे दीर्घः स्यात् / शाम्यति / दाम्यति / प्रणिशाम्यति / शम्सप्तकस्येति किम् / अस्यति / श्य इति किम् / भ्रमति / अशमत् / अदमत् / तमूच् कांक्षायाम् / / 88 // श्रमूच खेदतपसोः // 89 // भ्रमूच अनवस्थाने // 10 // भ्राम्यति / भ्रामति / भ्रमतुः / बभ्रमतुः। क्षमौच सहने // 91 // शाम्यति / औदित्त्वादिड्डा / चक्षमिथ / चक्षन्थ / चक्षमिव / चक्षण्व / चक्षमिम / चक्षण्म / क्षमिता। क्षन्ता / क्षमिष्यति / क्षस्यति / मदैच हर्षे // 92 // क्लमच ग्लानौ // 13 // भ्रासभ्लासेति वा श्ये प्ठिवुक्लम्विति दीर्घ च क्लाम्यति / क्लामति / अक्लमीत्। क्लमिता। इति शम्सप्तकम् / मुहौच वैचित्ये // 94 // मुह्यति / अमुहत् / इविकल्पे मुहद्रुहस्नुहेति वैकल्पिके घत्वे ढत्वे च मुमोहिथ / मुमोग्ध / मुमोढ / मोहितः / मोग्धा। मोढा / मोहिष्यति / मोक्ष्यति / द्रुहौच जिघांसायाम् // 15 // द्रुह्यति / अद्रुहत् / दुद्रोहिथ / दुद्रोग्ध। दुद्रोढ / द्रोहिता। द्रोग्धा / द्रोढा / द्रोहिष्यति / ध्रोक्ष्यति / ष्णुहोच् उगिरणे // 96 / / स्नुह्यति / अस्नुहत् / स्नोहिता / स्नोग्या / स्नोढा। स्नोक्ष्यति / स्नोहिष्यति / एवं ष्णिहौच पीतौ // 97 // व पुपादिः। // इति परस्मैपदिनः //