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________________ भ्वादयः ] सिद्धहैमबृहत्पक्रिया. 529 - 206 सहिवहेरोच्चावर्णस्य // 1 // 3 // 43 // सहिवहि इत्येतयोढस्य तड्ढे परेऽनु लुक् स्यात् अवर्णस्य चौकारः / सोढा / // इति ज्वलादिः॥ // अथ भ्वादिषु यजादयः // यजी देवपूजासंगतिकरणदानेषु // 1 // यजति / यजते / अयाशीत् / अयष्ट / 207 यजादिवश्वचः सस्वरान्तस्था वृत् // 4 / 1 / 72 // यजादीनां वश्वचोश्च परोक्षायां द्वित्वे सति पूर्वस्य सस्वरान्तस्था नृत्-इकारउकारऋकाररूपा प्रत्यासत्त्या स्यात् / वचिति वश्साहचर्यात् वचंक बगादेशो वा आदादिको गृह्यते न यौजादिकः / इयाज / 208 यजादिवचे किति // 41 // 79 // यजादीनां धातूनां वचेश्च किति प्रत्यये परे सस्वरान्तस्था यत् स्यात् / ईजतुः / ईजुः / इयजिथ / इयष्ठ / ईजिव / ईजिम। ईजे। इज्यात् / यक्षीष्ट / यष्टा / यक्ष्यति / यक्ष्यते / वेंग तन्तुसंताने // 2 // वयति / अवासीत् / 209 वेर्वय् // 4 / 4 / 19 // वेगो धातोः परोक्षायां वयित्ययमादेशो वा स्यात् / उवाय / यजादिवचेः कितीति यति / 210 न वयो र // 4 / 1 / 73 // वेगादेशस्य वयेर्यकारः परोक्षायां न स्यात् / ऊयतुः। ऊयुः / उवयिथ / ऊयथुः / ऊय / उवाय / उवय / ऊयिव / ऊयिम / वयादेशाभावे / 211 वेरयः॥४।१७४॥ वेगोऽयकारान्तस्याविति परोक्षायां परतो वृद्वा न स्यात् / आत्संध्यक्षरस्येत्यात्वे / ववौ / 212 अविति वा // 4 / 178 // वेगोऽयकारान्तस्याविति परोक्षायां परतो यवृद्वा न स्यात् / ववतुः / ऊवतुः / अत्र पूर्व यत् ततो द्वित्वं ततश्च पुनर्वकारस्य यत् प्रामोति परम् /
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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