________________ 528 सिद्धहैमबृहत्पक्रिया. [आख्यातप्रकरणे विशरणगत्यवसादनेषु // 7 // श्रौतीत्यादिना सीदादेशे सीदति / असदत् / ससाद / सेदतुः। सेदिथ / ससत्थ।। 204 सदोऽप्रते; परोक्षायां त्वादेः // 2 / 3 / 44 // प्रतिवर्जितोपसर्गस्थात् नाम्यन्तस्थाकवर्गात् परस्य सदो धातोः सकारस्य द्वित्वेऽप्यव्यपि षः स्यात् परोक्षायां तु द्वित्वे सति आदेः पूर्वस्यैव भवति / निषीदति / न्यषीदत / व्यपीदत / परोक्षायां खादेरेव / निपसाद / विषसाद / अप्रतेरिति किम् / प्रतिसीदति / शल शातने / / 8 // शातनं तनूकरणम् / ___205 शदेः शिति // 3 // 3 // 41 // शदेः शिद्विषयात् कर्तर्यात्मनेपदं स्यात् / श्रौतीत्यादिना शीयादेशे / शीयते / अशदत् / शशाद / शत्ता। शत्स्यति / बुध अवगमने // 9 // बोधति / अबोधीत् / अनुस्वारेदयमित्येके / अभौत्सीत् / टुवम् उगिरणे // 10 // वमति / अवमीत् / जूभ्रमेति वा एत्वे वेमतुः। ववमतुः। भ्रमू चलने॥११॥ भ्रासभ्लाशेति वा श्ये भ्रम्यति। भ्रमति / भ्रमतुः। बभ्रमतुः।क्षर संचलने // 12 // अक्षारीत् / चल कम्पने // 13 // चलति / अचालीत् / जल घात्ये // 14 // घात्यं जडलम् / टल ट्वल वैलव्ये // 16 // ठल स्थाने // 17 // अषोपदेशोऽयमित्य न्ये / हल विलेखने ॥१८॥णल गन्धे // 19 // नलति। बल प्राणनधान्यावरोधयोः // 20 // बबाल / बेलतुः / पुल महत्त्वे // 21 // कुल बन्धुसंस्त्यानयोः // 22 // पल फल शल गतौ ! // 28 // फलिशल्योः पुनः पाठो ज्वलादिकार्यार्थः / शलेः परस्मैपदार्थश्च / हुल हिंसासंवरणयोश्च // 26 // चाद् गतौ / क्रुशं आह्वानरोदनयोः // 27 // हशिट इति सकि अक्रुक्षत् / कोष्टा / कस गतौ // 28 // रुहं जन्मनि // 29 // बीजजन्मनीत्यन्ये / रोहति / अरुक्षत् / रोढा / रमि क्रीडायाम् // 30 // पहि मर्षणे // 31 // असोडेति षत्वे परिषहते। निषहते / विषहते / असोडेति प्रतिषेधात् परिसोढः / परिसोढव्यः। निसोढः / निसोढव्यः। विसोढः / विसोढव्यः / डे-मा परिसीपहत् / मूलधातोस्तु षत्वं भवत्येव / सोप्रतिषेधस्तु सहेरेव न सिवस्तस्य सोरूपासंभवात् / अटि सति स्तुस्वञ्जश्चाटीति वा पखम् / पर्यषहत / पर्यसहत / न्यषहत / न्यसहत / व्यषहत / व्यसहत / असोङसिवूसहेत्येव / पर्यसोढयत् / पर्यसीषिवत् / पर्यसीषहत् / सहलुभेच्छेति वेटि सहिता / पक्षे हस्य ढत्वे, तस्य धत्वे, धस्यापि ढत्वे /