________________ सिद्धहैमबृहत्मक्रिया. [आख्यातप्रकरणे विषयसप्तमीविज्ञानात् अवात्ताम् अवात्तेत्यत्र प्रागेव सस्य तकारः। हसे हसने // 836 // पिस पेस वेस गतौ // 539 // शमू हिंसायाम् // 540 // शशास / शशसतुः / न शसददेत्येत्वं न / शंसू स्तुतौ च // 541 // शंसति / शशंस / आशिषि नलोपः शस्यात् ।।इति सान्ताः। मिह सेचने // 542 // मेढा / मेक्ष्यति / दहं भस्मीकरणे // 43 // दहति / भ्वादेर्दादेर्घ इति हस्य घत्वे गडदवादेरिति दस्य धत्वे वृद्धौ च अधाक्षीत् / धुड्हस्वादिति सिज्लोपे अधश्चतुर्थेति तस्य धत्वे च अदाग्धाम् / अधाक्षुः। ददाह। देहतुः। देहिथ। ददग्ध। दह्यात्। दन्धा। धक्ष्यति / चह कल्कने // 544 // कल्कनं दंभः शाठयं च / अचहीत् / रह त्यागे // 545 // रहु गतौ // 546 // रंहति / दह दहु वृह वृद्धौ // 549 // दहति / दंहति / वर्हति / बृह बृहु शब्दे च 551 // अबृहत् / अवहीत् / अबृहीत् / उह तुह दुइ अर्दने // 54 // औहत् / औहीत् / उवोह / अतुहत् / अतोहीत् / अदुहत् / अदोहीत् / अर्ह मर्ह पूजायाम् // 556 // अर्हति / आहीत् / आनर्ह / इति हान्ताः। उक्ष सेचने // 557 // उक्षति / उक्षाञ्चकार / रक्ष पालने // 558 // मक्ष मुक्ष संघाते // 560 // अक्षौ व्याप्तौ च // 561 // 157 वाक्षः // 5 // 4 // 76 / / अक्षौ इत्येतस्मात् कर्तरि विहिते शिति नुः प्रत्ययो वा स्यात् / - . 158 उश्नोः // 4 / 3 / 2 // धातोः परयोरुनु इत्येतयोः प्रत्यययोरक्ङिति प्रत्यये गुणः स्यात् / अक्ष्णोति / अक्षति / आक्षीत् / आष्टाम् / आक्षिष्टाम् / आनक्ष / अक्षिता / अष्टा / तक्षौ त्वक्षौ तनूकरणे // 563 // 159 तक्षः स्वार्थे वा // 3477 // स्वार्थस्तनूकरणं तस्मिन् वर्तमानात् तक्षौ इत्येतस्मात् कर्तरि विहिते शिति *नुः प्रत्ययो वा स्यात् / तक्ष्णोति तक्षति काष्ठम् / स्वार्थे किम् / संतक्षति वाग्भिः शिष्यं निर्भर्त्सयतीत्यर्थः / अतक्षीत् / अताक्षीत् / अतक्षिष्टाम् / अताष्टाम् / तक्षिता / तष्टा / णिक्ष चुम्बने // 564 // प्रणिक्षति / निक्षिता। तृक्ष स्तृक्ष णक्ष गतौ // 567 // वक्ष रोषे // संघात इत्येके // 568 // खक्ष त्वचने // 569 // त्वचनं त्वग्रहणम् , संवरणं वा / मूर्त अनादरे // 570 // काक्षु वाक्षु माक्षु कांक्षायाम् // 573 // द्राक्षु ध्राक्षु ध्वाक्षु घोरवासिते च // 576 // इति सान्ताः / एषां पान्तेषु पाठो युक्तो वैचित्र्यार्थं त्विह कृतः॥ . // इति परस्मैपदिनः //