________________ भवादयः ] सिद्धहैमबृहत्प्रक्रिया. तुष्टौ // 490 // पूष वृद्धौ // 491 // लूष मूष स्तेये // 493 // खूप प्रसवे / / 494 // सूपति / ऊप रुजायाम् // 49 // ऊषाञ्चकार / ईष उच्छे / / 496 / / उच्छ उच्चयनम् / कृषं विलेखने // 497 / / कर्षति / .. 151 स्पृशमृशकृषतृपडपो वा // 3 / 4 / 54 // स्पृशादिभ्यो धातुभ्योऽद्यतन्यां सिज्वा स्यात् / स्पृशादिसपो वा। अक्राक्षीत् / अकाक्षीत् / पक्षे। . 152 हशिटो नाम्युपान्त्यादृशोऽनिटः सक् // 3 / 4 / 55 // हशिडन्तानाम्युपान्त्याद् दृशिवर्जितात् अनिटो धातोरद्यतन्यां परतः सक् प्रत्ययः स्यात् / सिचोऽपवादः / अकृक्षत् / अकृक्षताम् / कष शिष जष झष वष मष मुष रुष रिष यूष जूष शष चष हिंसायाम् // 610 // 153 सहलुभेच्छरुषरिषस्तादेः॥४।४।४६॥ एभ्यः परस्य तकारादेस्ताद्यशित आदिरिड् वा स्यात् / रोषिता / रोष्टा / रेषिता / रेष्टा / वृष संघाते च 511 // भष भर्त्सने // 512 // भवति / पैशुन्येन वक्तीत्यर्थः / जिषू विषू मिष निषू पृषू वृषू सेचने // 518 // मृषू सहने च // 519 / / उषू श्रिपू श्लिषू पुषू प्लुष दाहे // 524 // ओषति / औषीत् / ... ... 154 जाग्रुषसमिन्धेर्नवा // 3 // 4 // 49 // जागृ उप सम्पूर्व इन्ध इत्येतेभ्यो धातुभ्यः परस्याः परोक्षायाः स्थाने आमादेशो वा स्यात आमन्ताच्च परे कृभ्वस्तयः परोक्षान्ता अनुप्रयुज्यन्ते / ओषाञ्चकार / पक्षे उवोष / ऊपतुः। ऊषुः। उवोषिथ। घृष संघर्षे // 525 // // हृषु अलीके // 526 // पुष पुष्टौ १५२७भूष (इति पान्ताः) तसु अलंकारे / / 529 / / तुस हस हस रस शब्दे // 533 // लस *लेषणक्रीडनयोः // 534 // ललास / लेसतुः / घस्लं अदने // 535 / / घसति / अघसत् / जघास / गमहनेत्युपान्त्यलोपे / 155 घस्वसः / / 2 / 3 // 36 // नाम्यन्तस्थाकवर्गात्परस्य घसेर्वसेश्च धातोः संबन्धिनः सकारस्य षः स्यात् / घसिरिहायमेव / आदेशस्य कृतत्वेनैव सिद्धत्वात् / अकृतसकारार्थ वचनम् / जक्षतुः। जक्षुः। जघसिथ / जघस्थ / घस्ता / 156 सस्तस्सि // 4 // 3 / 92 // अशितीत्यनुवर्तते। धातोः सकारान्तस्याशिति सकारादौ प्रत्यये विषयभूते तकारोऽन्तादेशः स्यात् / घत्स्यति / अघत्स्यत् /