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________________ 496 सिद्धहैमबृहत्प्रक्रिया. [ आख्यातप्रकरणे भावात् दायात् / ध्यै चिन्तायाम् // 29 // ध्यायति / अध्यासीत् / दध्यौ / ध्येयात् / ध्यायात् / ग्लैं हर्षक्षये / // 30 // हर्षक्षयो धातुक्षयः। ग्लायति / अग्लासीत् / जग्लौ / ग्लेयात् / ग्लायात् / म्लैं गात्रविनामे // 31 // गात्रविनामः कान्तिक्षयः / ग्लैवत् / चैं न्यकरणे। // 32 // द्यायति / अद्यासीत् / दद्यौ / 3 स्वप्ने // 33 // | तृप्तौ // 34 // के गरै शब्दे // 37 // कायति / अकासीत् / गायति / अगासीत् / गेयात् / रायति / अरासीत् / ष्ठथै स्त्य संघाते // 39 / / षोपदेस्यापि षत्वे कृते रूपं तुल्यम् / पोपदेशफलं तु तिष्ट्यासति अतिष्ट्यपदित्यत्र पवम् / खै खदने // 40 // मैं क्षये // 43 // क्षायति / जायति / सायति / अक्षासीत् / अजासीत् / धे त्यत्र 'सों, मैं' इत्युभयोरपि ग्रहणाद्विकल्पेन सिज्लुपि असात् / पक्षे असासीत् / गापास्थेत्यत्रापि 'सों, सैं' इत्युभयोरपि ग्रहणात सेयात। अन्ये 'सैं क्षये' सायादित्येवेच्छन्ति / 3 पाके // 48 // 4 ओवै शोषणे // 47 // पायति। अपासीत् / गास्थोर्मध्ये पाठादित्याधुक्तलात् पेयात् / पै इत्यस्य नेच्छन्त्यन्य इति पायात् / ष्ण वेष्टने // 48 // स्नायति / इति स्वरान्ताः। फक नीचैर्गतौ // 49 // फक्कति / अफक्कीत् / पफक / तक हसने // 50 // तकति / 99 व्यञ्जनादेवोपान्त्यस्यातः // 43 // 47 // व्यञ्जनादेर्धातोरुपान्त्यस्यातः सेटि सिंचि परस्मैपदविषये परे वृद्धिर्वा स्यात् / अताकीत् / अतकीत् / 100 णिति // 4 / 3 / 50 // बिति णिति च प्रत्यये परे धातोरुपान्त्यस्यातो वृद्धिः स्यात् / तताक। ___101 अनादेशादरेकव्यञ्जनमध्येऽतः // 4 / 1 / 24 // अवित्परोक्षासेट्थवोः परयोर्योऽनादेशादिर्धातुस्तत्संबंधिनः स्वरस्यातोऽकाररूपस्यासहायव्यञ्जनयोर्मध्ये वर्तमानस्य स्थाने एकारादेशः स्थान च धातुर्द्विः। तेकतुः। तेकुः / तेकिथ / अविदित्येव / अहं ततक / परोक्षायामित्येव तक्यते / सेट् थवीत्येव / पपक्थ / अनादेशादेरिति किम् / बभणतुः। बभणिय / एकव्यञ्जनमध्य इति किम् / ततक्षतुः। ततक्षिथ / अत इति किम् / दिदिवतुः। अवित्परोक्षासेट्थवभ्यामादेशादित्यस्य विशेषणं किम् / इहापि यथा स्यात् नेमतुः। सेहे / अत्र हि अनिमित्ते नखसत्वे नतु परोक्षानिमित्ते इति / तकु. कृच्छ्रजीवने // 11 //
SR No.032767
Book TitleHaimbruhatprakriya Mahavyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirijashankar Mayashankar Shastri
PublisherGirijashankar Mayashankar Shastri
Publication Year1931
Total Pages1254
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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