________________ 282 सिद्धहैमबृहत्प्रक्रिया [तद्धित प्रत्ययः स्यादेशे नान्नि / सौपन्थ्यम् / सुपथिन्शब्दस्यात एव निपातनात् पकारात्परो नागमः पस्य च वा वकारः। 1351 सुतंगमादेरि // 6 // 2 // 85 // सुतंगमादिभ्यश्चातुरर्थिक इञ् प्रत्ययः स्याद्देशे नाम्नि / सौतंगमिः। मौनिवित्तिः / 1352 बलादेर्यः // 6 // 2 // 86 // बलादिभ्यश्चातुरथिको यः प्रत्ययः स्यात् देशे नान्नि। बल्यम् / पुल्यम् / 1353 अहरादिभ्योऽञ् // 6 // 2 // 87 // अहन् इत्येवमादिभ्यश्चातुरथिकोऽञ् प्रत्ययः स्यात् देशे नाम्नि / आह्नम् / लौमम् / तेन निवृत्तमित्यर्थेऽहःशब्दाद्देशे नाम्नि विहितोऽयमञ् विशेषविहितत्वात् निर्वृत्त इति सामान्यविहितस्य कालेकणोऽपवादः / अहरादिराकृतिगणः। 1354 सख्यादेरयण // 6 / 2 / 88 // सखि इत्येवमादिभ्यश्चातुरर्थिक एयण प्रत्ययः स्याद्देशे नाम्नि / साखेयः। साखिदत्तेयः। 1355 पन्थ्योदरायनण् // 6 // 2 // 89 // पन्थ्यादिभ्यश्चातुरर्थिक आयनण् प्रत्ययः स्याद्देशे नान्नि / पान्थायनः। पथिन्शब्दस्य प्रत्यययोगे पकारात्परो नागमोऽत एव निपातनात् / पाक्षायणः / 1356 कर्णादेरायनिञ् // 6 / 2 / 90 // कर्णादिभ्यश्चातुरर्थिक आयनिञ् प्रत्ययः स्यात् देशे नाम्नि / कार्णायनिः / वासिष्ठायनिः।। 1357 उत्करादेरीयः // 6 / 2 / 91 // उत्करादिभ्यश्चातुरर्थिक ईयः प्रत्ययः स्याद्देशे नाम्नि / उत्करीयः। संकरीयः। 1358 नडादेः कीयः // 6 / 2 / 92 // नड इत्येवमादिभ्यश्चातुरर्थिकः कीयः प्रत्ययः स्याद्देशे नाम्नि / नडकीयः / प्लक्षकीयः / 1359 कृशाष्वादेरीयण // 6 / 2 / 93 // कृशाश्वादिभ्यश्चातुरर्थिक ईयण प्रत्ययः स्याद्देशे नान्नि / काश्विीयः / आरिष्टीयः /