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________________ पर्याय की अवधारणा व स्वरूप ___65 3. "स्वभावविभावरूपतया याति पर्येति परिणमतीति पर्याय इति पर्यायस्य व्युत्पत्तिः / " आप्तपरीक्षा, 6 4. "पर्यायोऽनुक्रमः क्रमः // 1503 पर्ययणं पर्यायः / परिपूर्वाद् ‘इण् गतौ' (अ०प०अ०) अस्मात् 'परावनुपात्यय इणः 3/3/38 इति धब् / - अभिधानचिन्तामणिनाममाला, पृ.६८९ 5. सं.जर्नादन विनायक ओकः गीर्वाणलघुकोश, 1960, पृ.२९४-२९५; 6. गोम्मटसार-जीवकाण्ड, गा०५७२ 7. सर्वार्थसिद्धिः आ० पूज्यपाद विरचित तत्त्वार्थसूत्र, टीका अ० 1, सू०३३ पविभत्तपदेसत्तं पुधत्तमिदि सासणं हि वीरस्स / अण्णत्तमतव्यावो ण तव्भवं होदि कधमेगं // सद्दव्वं सच्च गुणो सच्चेव य पज्जओ त्ति वित्थारो। जो खलु तस्स अभावो सो तदभावो अवव्भावो // आचार्य कुन्दकुन्द का प्रवचनसार, अ०२, गा०१४-१५ व टीका 10. आचार्य कुन्दकुन्द : प्रवचनसार, अ०२, गा०१६ 11. "गुणपर्यवद्रव्यम्" तत्त्वार्थसूत्र, अ०५, सू०३८ ___ "णत्थि विणा परिणामं अत्थो अत्थं विणेह परिणामो / दव्वगुणपज्जयत्थो अत्थो अस्थित्तणिव्वन्तो // प्रवचनसार, अ०१, गा०१० 13. सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्रीः जैन न्याय, द्वितीय संस्करण, पृ५ से उद्धृत 14. क्षु० जिनेन्द्र वर्णीः जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, भा०३ प्रथम संस्करण, पृ०४४ से उद्धृत 15. तत्त्वार्थसूत्र, अ०५, सू०३० 16. आचार्य कुन्दकुन्द कृत प्रवचनसार, अ०२, गा०७ की तत्त्वप्रदीपिकावृत्ति 17. आचार्य कुन्दकुन्द : प्रवचनसार, अ०२, गा०८ 18. वही, अ०२, गा०९ 19. "उत्पादव्यय ध्रौव्याणि हि पर्यायानालम्बन्ते, ते पुनः पर्याया द्रव्यामलम्बन्ते / ततः समस्तमप्येतदेकमेव द्रव्यं न पुनर्द्रव्यान्तरम्। द्रव्यं हि तावत् पर्यायैरालम्ब्यते / समुदायिनः समुदायात्मकत्वात् पादपवत् / " वही अ०२, गा०९ तत्त्वप्रदीपिकावृत्ति 20. "कालोऽपि लोके जीव पुद्गलपरिणामव्यज्यमानसमयादिपर्यायत्वात्, स तु लोकैकप्रदेश एवाप्रदेशत्वात्" प्रवचनसा, अ०२, गा०४४ तत्त्वप्रदीपिकावृत्ति 21. आचार्य कुन्दकुन्द कृत प्रवचनसार, अ०२, गा०४७ तथा आ० अमृतचन्द्र रचित तत्त्वप्रदीपिकावृत्ति 22. "अणेयविहो परिणामेहितो पुधभूदकालाभावा परिणामाणं च आणंतिओबलंभा" षट्खण्डागम, पु०४,१,५,१ 23. षड्खण्डागम, पृ०९,४,१,२ 24. द्रव्याणि गुणात्मकानि भणितानि, अन्वयिनो गुणा अथवा सहभुवो गुणा इति गुणलक्षणम् !.... व्यतिरेकिणः पर्याया अथवा क्रमभुवः पर्याय इति पर्यायलक्षणम् / " प्रवचनसार, अ०२, गा०१ तात्पर्यवृत्ति 25. अध्यात्मकमलमार्तण्ड, 2, 9
SR No.032766
Book TitleJain Dharm me Paryaya Ki Avdharna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Bhatt, Jitendra B Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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