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________________ कोई हस्तप्रतमा रचनासमय वि. सं. 1550 पण मळे छ : ‘पन्नर पचासें वरष प्रमाण, सूद वैसाष तणो दिनमान, जांणि उलट आषात्रिज गयो, गायो पास जिनेश्वर जयो.५४ 50 लंकानो राजा खरदूषण एक वार देरासर जवानुं भूली गयो, तेथी एने कोढ थयो, एनुं वर्णन एमां करवामां आव्युं छे. काव्य सामान्य प्रकारचं छे. 14. सूर्यदीप-वाद छंद सूर्य अने दीपक पोतपोतानी महत्ता दर्शाववा विवाद करे छे ए छप्पय छन्दनी त्रीस कडीओनी आ नानी कृतिमां कविए सुन्दर रीते रजू करेल छे. एमां बन्नेनुं महत्त्व दर्शाववामां आव्यु छ : 'प्रहि ऊगमि अवतार, दीप दिनकरण भणिज्जइ, जेह-सिउं जेहवां काम, ताम लोके बहु किज्जइ; . दीपक देइ साखि, देव देहरासरि नमीइ, भोजन कूर कपूर, भाण-अजूआलइ जिमीइ. लावण्यसमय कहइ भाव सुणि, जउ रहिउ तु राखु किमइ; तप तपइ तेज दीपक तणुं, जो जाइ सूर संध्या-समइ. 11 रयणी-दीपक चंद, दिवस-दीपक जो दिणयर, कामिणी-दीपक कंत, देस-दीपक राजेश्वर. त्रिभुवन-दीपक दान, ज्ञान-दीपक गुरु भणीइ, वंश-दीपक सुपुत्त, विनय-दीपक सुणीइ. दीपक दिनकर देखि करि, अणप्रीछिइ कां तडफड ? लावण्यसमय कहइ, सूरथी जो दीपक--गुण दीपइ वडु.२३ काव्यमां कविनी विनोदशक्ति झळकी ऊठे छे. उपदेशनुं तत्त्व पण एमां गूंथायेलु छे. कवि, छन्दप्रभुत्व पणे एमां देखाई आवे छे. आ कृति हजु अप्रसिद्ध छे. एनो रचनासमय मळतो नथी." 15. देवराज-बच्छराज रास ___ आ रासनी रचना कतपुरमा थयेली छे, अने वि. सं. 1572 मां ए लखायो होवानो संभव छ : 54. ला. द. भा. सं. विद्यामंदिर-ह. प्र. नं. 7155 55-56 गुजराती साहित्यनां स्वरूपो-डॉ. मंजुलाल र. मजमूदार 57 जैन गूर्जर कविओ-भाग 1. आ रास 'आनन्दकाव्यमहोदधि मौक्तिक 3 (सं. जीवणचन्द साकरचन्द झवेरी, ई. स. १९१४)मा प्रगट थयेलो छे,
SR No.032757
Book TitleNemirangratnakar Chand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Jesalpura
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages122
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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