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________________ जमणो हाथ कहे छे के जोशी मारामां पडेली रेखाओ जोईने विद्या, धन अने आयुषनुं प्रमाण कहे छे. त्यारे डाबो हाथ कहे छ : 'कहइ डाबु, जोसी सवि लहइ, ते लक्षण अपलक्षण कहइ, आप वषाणइ ऊछांछलु, ते माणस नही भारझलु'. 29 आगळ जतां जमणो हाथ दलील करे छे : 'दक्षण मारगि बिसइ पंति, दक्षण कर प्रीसइ एकंति, दक्षण कर सवि लहइ दक्षणा, कहइ दक्षण कर अम्ह गुण घणा.' 40 त्यारे डाबो हाथ जवाब आपे छे : 'दक्षण दिसिथी डाबु मेर, दक्षण डाबी वाजइ भेर, दक्षण डाबी पांति इ रहइ, कहइ डाबु, पराभव का सहइ.' 41 आ रीते बन्ने हाथ केटला उपयोगी छे ए दर्शाववामां आव्युं छे. एमां कविना विनोद अने चातुर्यनो परिचय मळे छे. मध्यकालीन गुजराती साहित्यमां आ प्रकारना केटलांक कल्पित संवादकाव्यो छे तेमां आ काव्य महत्त्व- स्थान प्राप्त करे एवं छे. नयसुन्दरे वि. सं. 1665 मां अने समयसुन्दरे वि. सं. 1673 मां 'नलदवदन्ती रास' लखेल छे तेमां दवदन्तीनो त्याग करती वखते नळ वस्त्र चीरवानो विचार करे छे त्यारे एवं पापकर्म न करवा माटे एना डाबा अने जमणा हाथ वच्चे संवाद योजवामां आव्यो छे, एनी पण ए याद आपी जाय छे. 69 कडीनुं आ काव्य शांतिज(साती)नगरमां वि. सं. १५७५मां रचायुं छे : 'जिहां पोढां जिणहर पोसाल, वसइ लोक दीपता दयाल, शांतिज(साती)नगर मंडि सुविशाल, गायु करसंवाद रसाल. 68 संवत पनर पंचहुत्तरइ, मुनि लावण्यसमय उच्चरइ.१६९ 13. अन्तरीक पार्श्वनाथ छन्द चोपन कडीनुं आ सांप्रदायिक काव्य वि. सं. 1585 के 86 मा रचायुं छे : 'संवत पनर पंच्यासीया (पाठा. छयासीउ) वषांण, .. सुदि वैसाष तणो दिन जाण, उलट आषात्रीजे थयो, गायो पास जिणेसर जयो." 53 52. 'जैन गूर्जर कविओं'-भा. 1., ला. द. भा. सं. विद्यामन्दिर- ह. प्र. नं. 6147 53. जैन गुर्जर कविओ-भाग 1
SR No.032757
Book TitleNemirangratnakar Chand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivlal Jesalpura
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages122
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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