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________________ काव्यशिक्षा कुम्भचर्मच्छत्रचूर्णकारा मृगयुधीवरौ / रजकः सूचिकः कल्यपालनापितचित्रकाः // 121 // षट्पदी / इति नगरवस्तुव्यावर्णनोपायाः / रत्नाकरः-नालिकेरी च खजूरी पूगी-ताल-तमालकाः / कौङ्कणद्वीपवेलासु वनमेतत् प्रकीर्तितम् // 122 // सांयात्रिकाश्च नौवित्ता वेलाकूलोपजीविनः / ग्राहकूर्ममहामत्स्यं वराहमकरादयः // 123 // जलपूर्वाः सर्वसत्त्वाः केसरीभनरादयः / महापक्षधराः शैलास्तथा दैत्याश्च शङ्खकाः / प्रवालवल्लरीहंसवेत्रगह्वरशुक्तिकाः // 124 // दैत्यवाडववैकुण्ठनिवासो मौक्तिकाकरः / संपत्तिस्थैर्यगाम्भीर्यगुणाम्भोधरवर्द्धनः // 125 // शरण्यः सर्वदाद्रीणां सरित्-कामुकता तथा / चन्द्रालोकनतो वृद्धिवर्षासु जलशोषणम् // 126 // लक्ष्मीन्दुकौस्तुभोच्चःश्रवेन्द्रमातङ्गकालकूटसुराः / वेदामृतधन्वन्तरिकल्पद्रुमकामधेनुश्च // 127 // पाञ्चयज्ञा(जन्या)भिधः शङ्खो रम्भाद्या देवतागणाः / . चतुर्दशमहारत्नयोनिः शैवलमञ्जरी // 128 // इति रत्नाकरः। 20 पर्वतादिः--तुषारकन्दराधातुतटीगङ्गादवाग्नयः / शृङ्गमेघाप्सरःसिद्धविद्याधरवनेचराः // 129 // रत्नौषधिसरित्क्रौञ्चशिखण्ड्यादिविहंगमाः / व्याघ्रचित्रककस्तूरीगन्धेणगवयानिलाः // 130 // सिंहशार्दूलशरभचामरीशशशूकराः / मार्जारमहिषौ खड्गाजगराहिवृकादयः // 131 // भूर्जरुद्राक्षशरलप्रयालसुरदारवः / नमेरुकर्णिकाराद्या द्रुमा ब्रह्मस्थलाम्बुजे // 132 //
SR No.032755
Book TitleKavyashiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaychandrasuri, Hariprasad G Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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