________________ 18] काव्यशिक्षा स्फारवक्रवृत्तानि- स्थाली-गुहा-चषक-कुण्ड-शराव-पद्म घण्टा-कमण्डलु-कटाह-कचोल-कूपाः / नाभी-शिरस्त्रमणि-कर्पटि(?)-चक्र-गर्भगेह-प्रणाल- नलिका-शरधि-प्रतोल्यः // 58 // [इति] स्फारवक्रवृत्तानि / परिधिवृत्तानि- कुम्भाण्ड-चूचुक[क]-कम्बु-मृदङ्ग-कण्ठ वक्षोज-दूष्य-दधिसार-शिरो-नितम्बाः / तुण्डी-चतुःपथ-वयोऽण्डक-गुल्म-गोलधम्मिल्ल-कण्टक-तमो-मणिकेभ-कुम्भाः // 59 / / [इति] परा(रि)धिवृत्तानि / रक्ताः- तारा-स्फुलिङ्ग-मणि-दाडिम-बीज-गुञ्जा मुक्ता-वराट-पिटकालि-सुमेरु-पद्म(माः?) / घुण्डी-कणाम्बुलव(?)-पूग-घनाश्म-बाष्पस्वेदाङ्गमा(?)-करज-दन्त-तुषारलेशाः // 60 // उल्काग्नि-ताम्र-पवि-विद्युदशोकपर्णमद्य-प्रवाल-रसनाधर-लोचनान्ताः / मालूर-कुर्कुटशिखा-कपि-कीरतुण्डबालार्क-कासर-चकोरकनेत्र-कुम्भाः // 61 // इति रक्ताः // 20 पीता:-- काश्मीर-वल्क गरुडाच्युतचीर-हेम ब्रह्मार्क मेरु-कपि-रीति-पराग-कोकाः / स्वर्णाब्ज-शालि-कदलीफल-केतकानि हारिद्र-शङ्करजटा-बल-कर्णिकाराः // 62 // इति पीताः। स्वर्गापगाः स्वर्णपथा पताकाः शेषाहि-मुक्ताफल-पुष्पमालाः / निर्मोक-पट्ट-प्रमुखाः कवीन्द्रयोज्याः प्रबन्धे ऋजुलं विसंज्ञाः // 63 // 25