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________________ 16] काव्यशिक्षा चतुर्थपादे द्वादशाक्षरे - तर्के तर्कविशुद्धबुद्धिविभवः, लोकानां हितकारको मति चयैः, प्रेयान् सर्वजनस्य निर्मलतया, शान्त्या निर्जितमानशत्रुनिवहः / पुनः सप्ताक्षरे-सेतुर्भवाम्भोनिधेः, वादित्रतानार्चितः, विद्यामयो राजते / [इति ] शार्दूलविक्रीडितम् // . एवं निखिलानि छन्दांसि सम्यगव(भि)ज्ञाय संचारिणीक्रमो विज्ञेयः // ___ श्वेताः-- आसार-वीर-रजतामृत-कास-हास ज्योत्स्ना-यशः-पलित-भूति-करम्भ-वीच्यः / कर्पूर चन्दन पिच( ? का )ण्ड-तुषार–गङ्गानिर्मोक-निर्झर-पयोदधि-शर्कराश्च // 47 // डिण्डीर-हंस-नवनीत-कपाल-कम्बुच्छनोज्ज्वलाम्बुज-मृणाल-चकोर-लूताः / मुक्तास्थि-पुष्प-सिकता-कण-शीकारान्धःस्वेदाम्बु-शारदघनाश्म-रवीन्दुकान्ताः // 48 // प्रासाद-सौध-गजदन्त-हरादि-रम्भाकक्कोल-रोध्रतरु केतकि-पारिजाताः / शेषेश-चन्द्र-बलदेव सुरेभ-वाणीकवल्य-धर्म-वृष-नारद-वासवाश्च // 49 // इति श्वेताः / पापाम्बरागुरु-तमो-विष-कज्जलाब्धिदानाभ्र-शावल-सुरा-मृगनाभि-पङ्काः / श्यामार्केजा-बहुल-दुर्दिन-धूम-दूर्वाश्रीकण्ठ-केकि गल-सीरि-पटेक्षुपङ्काः // 50 // शस्त्र-प्रियङ्ग-तिल-सवल नीलपद्मलोहाश्म-गर्भ-मल केश-तमाल तालाः / क्रव्याद्रजो-हरि-यमासुर-सौरि-विन्ध्यकालेभ-चर्म-महिकाहि-पिकालि-काकाः // 51 // इति कृष्णाः / कृष्णा : 20
SR No.032755
Book TitleKavyashiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaychandrasuri, Hariprasad G Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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