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________________ काव्यशिक्षा . प्रकामम् निकामम् सुतराम् नितराम् अनघ सुगुण विमल विवेकिन् रुचिर शोभन मञ्जुल प्राञ्जल पेशल सुन्दर प्रवर प्रधान प्रदिष्ट प्रकृष्ट पटिमा पटीयान् उज्ज्वल धवल सुनेत्र सुमुख चक्षुष्य सुभग भासुर वन्दारु सुदृष्टे सदृष्टे सुनय सुवाक्य सलज्ज शास्त्रवित् गुणवित् नयवित् ज्ञानवित् धर्मवित् तत्त्ववित् क्रियावित् प्रज्ञालु '5 श्रद्धालु आस्तिक विनयी विभवी प्रभावी सुनयी सुरूपी / एवम्-गुणान(ल)य तपोधन तपोबल यशोऽनघ शुभकीर्ते सोमनेत्र सोमदृष्टे शान्तदृष्टे प्रियंवद भद्रेकर मकर शुभंकर क्षेमंकर क्षेमकर शिक्कर दिनकर दिवाकर विभाकर गुणाकर प्रभाकर दिव्यमूर्ते नयगेह यशोगेह यशोवार्द्ध न्यायदृष्टे चन्द्रमुख इन्दुमुख शशिमुख भद्रमुख विचारज्ञ विनयज्ञ सतांमत सतांमान्य धर्मपात्र दयाधार 10 आत्माराम ज्ञानधन साम्यधन क्रियारुचे धर्मवीर युद्धवीर दानवीर कुलकेतो कुलध्वज कुलाधार कुलदीप साहसाङ्क - रणमल्ल अभङ्गेश रणमल्ल' रणधीर यशोगृह कल्पवृक्ष विद्याराम विद्याधाम विद्यागेह इत्यादि / देवाधिदेव विद्यानिधान गुणसंपूर्ण विचाररत क्रियाप्रवीण संग्रामवीर साहसनिधे विचाररुचे सभ्यपूजित गजगमन धर्मसदन मोहमलन कामशमन हंसगमन 15 हंसाभिराम स्वकुलोत्तंस प्रशंसास्पद कमलनेत्र पङ्कजनेत्र अम्बुजनेत्र-एभ्यो दृष्टि शब्दः प्रयोज्यः / साधुपूजित महसां-तेजसां-द्युतीनाम्-ओजसां-तपसां श्रेयसां निधेएभ्यः परतो धाम-गृह-स्थान-वास-कुल-कुट-धिष्ण्य-शाला वेश्मादीनि पदानि योज्यानि / महनीयाङ्ग पूजनीयाङ्ग कीर्तनीयाङ्ग कलानिधान विचारचार विचारोज्ज्वल गुणमन्दिर गुणसुन्दर प्रधानमूर्ते अनघकीर्ते इन्दुवदन गुणसदन गुणचन्दन नेत्रमदन मोक्ष30 स्यन्दनं नीतिधूधुर्य रणरसिक कला-तेजो-यशः-धामभ्यो निलय, सत्य-तपः-क्रिया धर्मेभ्यो निरत, पाप-हिंसा-मृषा-चौर्येभ्यो विरत, गुणमहित नयसहित हितमिताभ्यां भोजन, अमृतवाक्य / मन्त्रिणि-नयचाणक्य द्वितीयाभय प्रज्ञासमुद्र / क्षत्रिये-सत्यसङ्गर सत्यप्रतिज्ञ जितसंग्राम रणतत्पर / वेश्यायाम् रूपेण रंभे रतचतुरे रतरसिके वैशिकाधारे रतप्रचण्डे इत्यादि / 25- विचार - विनय - विवेक - सत्क्रिया - सत्कला - सद्धर्म - सद्दान - सुशील - सुतपः - सुभाव - सुदेव - सुगुरु - संग्राम - सुमति - सुगति - सुयति-सुशास्त्र-सुशस्त्र-सत्पात्रेभ्यो निरत, पातक - अलीक - दुष्टत्वेभ्योऽपि निरत इति पदं व्यतिरेके / स्मरतरुपुष्प गौरशुभमूर्ते 1. पुनरुक्तोऽत्राय शब्दः /
SR No.032755
Book TitleKavyashiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaychandrasuri, Hariprasad G Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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