SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 29
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ काव्यशिक्षा देवता हि त्रिधा ............ ............ समुचिता / नीतिशास्त्रे नृपस्य समुचितेष्टा सरस्वती // 7 // - काव्यम्- शब्दार्थों सगुणौ काव्यं, तन्मुदे यशसेऽथवा / तच्च शुद्धोपदेशेभ्यः शिक्षाणां वशतो भवेत् // 8 // शिक्षा:- . . . ताश्चमाः-सहवासः कविवरैर्महाकाव्यार्थचर्वणम् / आर्यत्वं सुजने मैत्री सौमनस्य सुवेषता // 9 // नाटकाभिनयप्रेक्षाशृङ्गारालिङ्गता(ना) मतिः / कवीनां संगमे दानं गीतेनात्माधिवासनम् // 10 // लोकाचारपरिज्ञानं विचित्राख्यायिकारसः / इतिहासानुसरणं चारुचित्रनिरीक्षणम् // 11 // शिल्पिनां कौशलप्रेक्षा वीरयुद्धावलोकनम् / शोक-प्रताप-श्रवणं श्मशानारण्यदर्शनम् // 12 // वतिनां पर्युपासा च नीडायतनसेवनम् / मधुरस्निग्धमशनं धातुसाम्यमशोकता // 13 // निशाशेषप्रबोधश्च प्रतिभा स्मृतिरादरः / ....... सुखासनं दिवाशय्या शिशिरोष्णप्रतिक्रिया // 14 // आलोकः पत्रलेख्यादौ गोष्ठी प्रहसनज्ञता / प्रेक्षा प्राणिस्वरूपाणां समुद्रादिस्थितीक्षणम् // 15 // रवीन्दुतारकलनं सर्वर्तुपरिभावनम् / जनसंघाभिगमनं देशभाषोपजीवनम् // 16 // आधानोद्धरणप्रज्ञा कृतसंशो................ / .... ..... .... .... .... .... // 17 // मह(? इष्ट)पूजा निजोत्कर्षे परोत्कर्षविमर्शनम् / आत्मश्लाघा-स्तुतौ लज्जा परश्लाघा[ नुमोदनम् ] // 18 // . .... .... .... .... .... .... .... .... / .. परोन्मेषजिगीषा च व्य(व्युत्पत्त्यै सर्वशिष्यता // 19 //
SR No.032755
Book TitleKavyashiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaychandrasuri, Hariprasad G Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy