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________________ श्रीविनयचन्द्रसरिविरचिता काव्य शिक्षा 1. शिक्षापरिच्छेदः। . नत्वा श्रीभारती देवीं बप्पमटिगुरोगिर(रा) / काव्यशिक्षा प्रवक्ष्यामि नानाशास्त्रनिरीक्षणात् // 1 // विद्वन्मामितया नैव [नैव ] कीर्ति[ प्रलोभनात् ] / किन्तु बालावबोधाय शास्त्रादेनां लिखाम्यहम् // 2 // 'भले' शब्दव्याख्या आद्या शक्तिरसौ परा भगवती कुम्लाकृति विभ्रती . . रेषा(खा) [ कुण्डलिनीति ]वर्णनपदा व्योमान्तषियोसिनी / प्रेक्ष्या पुस्तिक]मातृकादिलिखिता कार्येषु च शूयते / देवी ब्रह्ममयी पुनातु भवतः सिद्धिर्मले विश्रुता // 3 // अहमिति सिद्धचक्रस्य प्रथमं बीजम् , अकारादि हपर्यन्तम् / ॐ मम इत्यादि ॐकारश्चाथशब्दश्च द्वावेतौ प्रह्मणः पुरा / [कण्ठं भित्त्वा विनिर्यातौ तस्मान्माङ्गलिकावु ]मौ // 4 // ..... ..... ... . . . [.. --दुर्गादासस्य / ] भथवा- अरिहंता असरीरा आयरिया चेव उवज्ञया मुणिणो / पढमक्खरनिप्पन्नो [ॐकारो पंचपरमिट्टी] ||5|| ॐकारं विन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यायन्ति योगिनः / .... कामदै मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः // 6 //
SR No.032755
Book TitleKavyashiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaychandrasuri, Hariprasad G Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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