________________ 118] 10 काव्यशिक्षा द्विजराजस्तु शेषे स्यात् तार्थेऽपि च निशाकरे / धर्मराजस्तु सुगते श्राद्धदेवे युधिष्ठिरे // 84 // भारद्वाजः पक्षिभेदे बृहस्पतिसुतेऽपि च / तुलाकोटिर्मानभेदेऽर्बुदे स्यान्नूपुरेऽपि च // 85 // कलकण्ठः पिके पारावते हंसे कलध्वनौ / / वैतरणी प्रेतनद्यां जनन्यामपि रक्षसाम् // 86 // शिखरिणी वृत्तभेदे रोमाली-पेयभेदयोः / दिवाभीतः काकरिपौ कुम्भिले कुमुदाकरे // 87 // नागदन्तो हस्तिदन्ते गेहान्निःसृतदारुणि / - प्रजापतिब्रह्म-राज्ञोर्जामातरि दिवाकरे // 88 // वह्नौ त्वष्टरि दक्षादौ प्रतिकृतिस्तु पूजने / पुष्पदन्तस्तु दिग्नागे जिनभेदे गणान्तरे // 89 // आशाबन्धः समाश्वासे मर्कटस्य च वासके / महानादो महाकाष्ठे महाध्वाने शयानके // 90 // आस्कन्दनं तिरस्कारे संशोषण-समीकयोः / वर्द्धमानो वीरजिने स्वस्तिकैरण्ड-विष्णुषु / / 91 // प्रश्नभेदे शरावे च विष्वक्सेनो जनार्दने / अनुशयः पश्चात्तापे दीर्घद्वेषा-अनुबन्धयोः // 92 // अवतारस्तु नद्या दितीर्थेष्ववतरेऽपि च / उपचारस्तु लञ्चायां कुम्भकारः प्रजापतौ // 93 // घनसारस्तु कर्पूरे दक्षिणावर्तपारदे / चक्रधरो विष्णु-सर्प-चक्रिषु ग्रामजालिनि // 14 // दण्डधारो यमे राज्ञि दिगम्बरस्तु शङ्करे / देहयात्रा यमपुरीगमने भोजनेऽपि च // 95 / / द्वैमातरो जरासन्धे हेरम्बे परिकीर्तितः / प्रतिसर चमूपृष्ठे नियोज्य-करसूत्रयोः // 96 // 20 *25