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________________ 4. बीजव्यावर्णनपरिच्छेदः। अथ [जिन]बीजानि पिता माता पुरी लक्ष्म वर्ण-कीर्ति-गुणश्रियः / प्रातिहार्याणि चाष्टापि देशना शमता सदा // 1 // क्रोध-मान-माया-लोभ-मद-मोह-पराजयः / अष्टादशमहादोषवर्जनं जिनवर्णने // 2 // व्याख्यापिता–नाभिश्च जितशत्रुश्च जितारिरथ संवरः / मेघो धरः प्रतिष्ठश्च महासेनो नरेश्वरः // 3 // सुग्रीवश्च दृढरथो विष्णुश्च वसुपूज्यराट् / कृतवर्मा सिंहसेनो भानुश्च विश्वसेनराद // 4 // सूरः सुदर्शनः कुम्भः सुमित्रो विजयस्तथा / समुद्रविजयश्चाश्वसेनः सिद्धार्थ एव च // 5 // माता-मरुदेवी ईकार-आकारान्तः शब्दः / मरुदेवा विजया सेना सिद्धार्था च मङ्गला / ततः सुसीमा पृथ्वी लक्ष्मणा रामा ततः परम् // 6 // 15 नन्दा विष्णुर्जया श्यामा सुयशाः सुव्रताऽचिरा / श्रीर्देवी प्रभावती च पद्मा वप्रा शिवा तथा // 7 // वामा त्रिशला क्रमतः पितरो मातरोऽर्हताम् / [अभिधानचिन्तामणि 1, 36-41 ] नगरी अयोध्या इत्यादि-विनीता, अयोध्या, श्रावस्ती, अयोध्या, कौशाम्बी, 20 वाणारसी, चन्द्रपुरी, काय(क)न्दी, भद्रिलपुरं, सिंहपुरं, चम्पा, काम्पील्यम्, अयोध्या,
SR No.032755
Book TitleKavyashiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaychandrasuri, Hariprasad G Shastri
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1964
Total Pages228
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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