________________ 296 तृतीयं परिशिष्टम् कुटजफल--इन्द्रयव / कुटजबीज--भद्रयव / 'सिरीसु--शिरीष विषहन् भण्डिन् भण्डीर शङ्खिनीफल 17 मृदुपुष्प शुकपुष्प शुकवृक्ष शुकप्रिय कपीतन [कपीतक पुपा०] कर्णपूर भण्डिल श्यामवल्कल 18 / "पाडला--पाटली पाटला स्थाली [काचस्थाली टी०] अमोघा [मोघा पु.] तोयाधिवासिनी वसन्तती कामदूती कुम्भीका [कुम्भिका टी.] कालवृन्तिका [काला टी०] 19 / श्वेतपाटला---वेतपाटला [ वेता पाटला पु० नि.] काष्ठपाटला शीतला श्वेतकुम्भीका कुबे राक्षी फलेरुहा 20 / अगर-अगरु अगुरु लोह वंशिका [वंशिकम् नि०] विश्वरूपक कृमिज प्रवर राजा जौङ्गक [जोगक पु. योगज नि०] अनार्यज [अनार्यक पु. नि०] 21 / मल्लिगन्ध अगरु--मल्लिगन्ध मङ्गल्या / कृष्णागरु--काकतुण्डक। 'चन्दन--श्रीखण्ड मलया चन्दन श्वेतचन्दन 22 गोशीर्षक [गौशीर्ष टी०] गन्धसार भद्रश्री तैलपणिक फलकिन् सुरभि सार महार्ह रोहणोद्भव 23 / बाबरउ चन्दन--बर्बरक वेतनिर्गन्ध बर्बरोद्भव / / "रतांजणी रक्तचन्दन-रक्तचन्दन क्षुद्रचन्दन भास्करप्रिय 24 ताम्रसार रक्तसार लोहित हरिचन्दन / पतंग--कुचन्दन पत्राङ्ग पतङ्ग [पत्ता पु० नि०] पट्टरञ्जन 25 सुरङ्ग रक्तकाष्ठ पत्तुर तिलपणिका / 'कणयर--द्रुमोत्पल व्याध परिव्याध सुगन्धिक [सुगन्धक नि०] 26 / गन्धरहितकणयर--कर्णिकार निषीध पीतपुष्पक / "पुन्नाग-पुन्नाग महानाग केसर रक्तकेसर 27 देववल्लभ कुम्भीक तुङ्ग पुरुषनामक / 'अगथियउ--अगस्त्य बहुसेन [वङ्गसेन नि.-शुकनाश [शुकनास नि०] मुनिद्रम 28 / प्रवेतकणवीर-करवीर कणवीर श्वेतपुष्प अश्वमारक प्रतिहास शतप्रास अवरोह [अश्वरोध नि.] कुसुमोद्भव [अश्वहन् अश्वघ्न श्वेतकुन्द टी०] 29 / रक्तकणवीर--लगुड चण्डात [चण्डातक टी.] चण्ड गुल्मक / 'तमाल-तमाल कालस्कन्ध तापिच्छ रज्जन वसु 30 / १°तमालपत्र--तमालपत्र वस्वाख्य [वस्त्राख्य पु० नि०] रोमन [रोमश पु. नि.] तामस दल / "एलची--सूक्ष्मैला चन्द्रबाला द्राविणो [दाविडी नि०] निष्कुटि तुटि 31 कपोतवर्णिका तुच्छा कोरङ्गी बहुला तुला। १२ककोली एला- स्थूलैला बृहदेला पत्रैला [भदैला नि०] त्वक्सुगन्धिका 32 त्रिदिवोद्भवा पृथ्वीका ___कर्णिका त्रिपुटा पुटा। 1. (1) काळीयो सरस :(2) सरसडो॥ 2. पाडला // 3. अगर // 4. चंदन // 5. रतांजली // 6. कणेर // 7. (1) पुन्नाग (2) ऊंडी (महाराष्ट्र) दीपप्रज्वालनेऽस्य तैलमुपयुज्यते // 8. अगथिओ // 9. तमाल // 10. तमालपत्र / 11. एलची // 12. एलचो / /