________________ हेमचन्द्रीयनिघण्टुशेषमूलग्रन्थस्य पाठभेदाः। 231 पु० / (उ०) स्याद् गिरिकामास्फोता स्थाने गिरिकामरस्फोता नि० // 308 पू०) श्वेतनामिका स्थाने श्वेतपुष्पिका पु० नि० // 309 (पू.)-श्वेता गवादनी स्थाने श्वेता गवादिनी पु० -श्वेताङ्गवन्दना नि० / (उ०)-वारुण्यां स्थाने-वारुणी नि० // 310 (पू०) गोडुम्बा स्थाने गोद्गुवा नि० // 312 (पू०) भूतनाशनी स्थाने सूतनाशनी नि० // 313 (उ०) शारदी स्थाने शरटा पु० नि० // 314 (पू०) कृष्णा भद्रा स्थाने कृष्णभद्रा पु० नि० / (उ०)चन्दनोत्पल-स्थाने शारिवोत्पल-पु० / / 315 (उ०) सवा स्थाने श्रवा पु०॥३१६ (पू.)-वल्कला स्थाने-वल्कली नि ।(उ०) पीलुपी स्थाने पीलपर्णा नि०॥ 317 (पू.) पातनी स्थाने-पातिनी नि० / (उ०)-ऽग्निमुखी सैरी दुष्पुष्पी कलि-स्थाने -ऽग्निशिखा शक्रपुष्पिका कलि-नि० / सैरी दुष्पुष्पी स्थाने सीरीन्दुपुष्पी पु० // 318 (पू०) गुडूच्या स्थाने गडूच्या-पु० / 319 (पू.) लम्बा स्थाने छिन्ना पु० नि / 320 (पू०) देवताली स्थाने देवदाली पु० नि० / वृत्तकोशो स्थाने वृत्तकोशा नि०॥ 321 (पू०) कृष्णच्छत्रा स्थाने कृतच्छत्रा पु० नि० / सुतिक्तिका स्थाने सुतिक्तका पु० नि० / (उ०) कृतवेधना स्थाने रक्तवेधना पु० नि० // 322 (पू०). धामार्गवः स्थाने धामार्गवे पु०नि० / महाजाली महाफली स्थाने महाजला महाफला नि० / (उ०) कोशफलो स्थाने कोशफला पु० नि०॥ 323 (पू०) त्वैभी स्थाने त्वभ्या नि०। (उ०) पटुपर्णी स्थाने कटुपर्णी पु० नि० // 324 (पू०) करीषिणी स्थाने करीषणी नि / (उ०) हेमशिखा स्थाने हेमशिखी पु० नि०॥ 325 (पू०) धनहरी स्थाने वनहरी पु० नि० / (उ०) चण्डा स्थाने रण्डा पु० // 326 (पू०) पुष्पश्रेणी न्यग्रोधी स्थाने पुत्रश्रेणी न्यग्रोधा पु० नि० / (उ०) रण्डा च स्थाने रण्डाखुः पु० रण्डाख्युः नि० // 327 (पू०) बिशिनी बिशवत्यपि स्थाने बिसिनी बिसनाभयः पु० नि। (उ०) पलाशिनी नालीकिनी स्थाने पलासिनी नालकिनी पु० नि० // 331 (पू०) कुवलं कुवम् स्थाने कवलं वलम् नि / (उ०) तत्र कुमुदं स्थाने कुमुदं चैव नि० // 332 (पू.) रक्तसन्ध्यकम् स्थाने रक्तसन्धिकम् नि०। (उ०) कलारं स्थाने कल्हारं पु० नि० / / 334 (पू०) कन्दे पाझे स्थाने पद्मकन्दे नि० / शिफे स्थाने शफे पु० / (उ०) पद्माख्य स्थाने पद्माक्षं पु० नि०॥ 335 (पू०) पानीया पृष्ठगा स्थाने पानीयपृष्ठगा पु० नि० / (उ०) नीली स्थाने तथा नि० // 336 (पू०) मिसिः स्थाने मिषिः नि० / (उ०) छत्रपुष्प्यवा-स्थाने छत्रपुष्पाऽवा-नि० // 337 (उ०) सुषवी स्थाने तुषवी नि० // 338 (पृ०) कुञ्ची कालोपकालोपकुञ्चिकोत्कुञ्चिकापि च स्थाने उपकुञ्ची कुञ्चिका च कालापकुञ्चिकाऽपि च नि० -कोत्कुञ्चिका-स्थाने -का कुञ्चिका पु० // 339 (उ०) सुकन्दो स्थाने कुकन्दो पु० / वक्त्रदृषणः स्थाने वक्त्रभूषणः पु० नि० // 340 (पू०) हरणः स्थाने फरणः पु० नि० / (उ०) विमला मता स्थाने बिन्दुलाऽमला पु० बिन्दलाऽमली नि० // 341 (पू.) चर्मकसा स्थाने चर्मकिसा पु० चर्माकसा नि० // 342 (उ०) सारणा सरणा सुप्रसरा राजबला च सा स्थाने सारणी सरणी सुप्रसरा राजबला च सा पु० सारणो सुप्रसारा च राजबला च साऽपि