________________ 230 प्रथमं परिशिष्टम् / ऽश्वनी स्थाने पीताऽश्वघ्ना पु० नि० // 278 (पू०) तेजनी स्थाने तेजिनी पु० नि० / वल्कलेति च स्थाने वल्कलेयपि नि० / (उ०) मिस्रयायां तालपर्णी स्थाने मिश्रेयायां तालपत्री पु० // 279 (पू०)-स्तालकर्ण्यपि स्थाने-स्तालपर्ण्यपि पु० // 280 (पू०) कन्दपत्री त्वचं पत्री तलपत्रकमुन्दुरा स्थाने कन्दपत्रा त्वचं पत्रा तलपत्रकमुत्तरा पु. कन्दपत्रत्वचं पत्राऽमलपत्रकमुत्तरा नि० / (उ०) पेशी स्थाने यशी नि० // 282 (पू०) पूतना स्थाने भूतना निः // 283 (पू०) गन्धकुटी स्थाने गन्धकटी नि० / (उ०) पौण्डयं स्थाने शौण्डयं नि० // 284 (उ०) जतूका- स्थाने जतुका - नि० / / -वर्तनी स्थाने-वर्तिनी पु. नि० // 285 (पू०) संस्पर्शा स्थाने संहर्षा पु० सहर्षा नि० / (उ०) वृन्ता चर्मकशा स्थाने वृत्ता चर्मकसा पु० // 286 (पू०) समाङ्गाऽजलिका- स्थाने समङ्गाऽञ्जलिका- नि० समझा जलका- पु० // 287 (उ०) -मण्डलको- स्थाने -मण्डलिको- पु० -मण्डलिका- नि० // 288 (पू.) -पिप्पल्यां स्थाने-पिष्पल्यां पु० / (उ०) पिप्पली स्थाने पिष्पली पु०॥ 289 (पू.) बुकः स्थाने दकः पु० / (उ.) पाण्डुराङ्गः प्रियः स्थाने -पाण्डुरोगप्रियः नि० // 290 (उ०)-विषा विषा स्थाने विषाऽरुणा नि०॥ 291 (पू०) शालपर्ण्यपि स्थाने शालिपर्ण्यपि पु० शल्यपर्ण्यपि नि०॥ 292 (पू०) काकचिञ्चिका स्थाने काकबिम्बिका पु० / काकनिन्दिका स्थाने काकणिन्दिका पु. नि० // 293 (उ०) -णिमोद्घा च शीत- स्थाने -णिस्त्वमोघा च शत- पु० -णिमौघा च शत- नि० // 294 (पू.) पापचेलिका स्थाने पापाचालिका पु० / विद्धकर्णिका स्थाने वृद्धकर्णिका नि० / (उ०) वृकतिक्ता वनतिक्ता स्थाने वृकं तिक्ता वरतिक्ता नि० / स्थापनी स्थाने स्थापिनी नि० स्थायिनी पु०॥ 295 (पू.) रसाऽम्बष्ठा-स्थाने रसा त्वष्टा पु० // 296 (पू०) शतमूली स्थाने शतमूला नि०। (उ०) -ऽभीरु स्थाने भीरु पु. नि० // 297 (पू०) पुरुषदत्तोर्ध्व- स्थाने परुषदन्तोर्ध्व- पु० / (उ०) भीरुः स्थाने भीरुपु० // 299 (पू.) कटंवरा स्थाने कटम्भरा पु० नि०॥ 300 (पू०) कपिकच्छूरात्मगुप्ता स्थाने कपिकच्छा महागुप्ता नि० कपिकच्छान्मा(च्छवामा)त्मगुप्ता पु० / दुरभिग्रहा स्थाने दुरतिग्रहा पु० / (उ०) व्यण्डा स्थाने स्यण्डा पु० // 301 (पू०) -शिम्बिा - स्थाने -शिम्बी ला- पु० नि० / (उ०) ऋषभी स्थाने आर्षभो पु० आर्यभी नि० / दुरालसा स्थाने च दुर्लभा पु० // 302 (उ०) भण्डी मजियोजनवल्लिका स्थाने चण्डी जिङ्गी योजनवल्लिका पु० भण्डी जिङ्गी योजनवल्ल्यपि नि० // 303 (पू०) मण्डूक स्थाने माण्डूक पु० / 303 लोकपूर्वार्धानन्तरमयम लोकः पु० आदर्शेऽधिक उपलभ्यते-क्षत्रिणी विजया रक्ता रक्तगी वस्त्रभूषणा इति / (उ०) धार्मप-स्थाने धर्मप-पु. नि० // 304 (पू०) यवनेष्टं शिरोवृत्तमूष- स्थाने यवनेष्टं शिरोवृन्तं मूष- नि० / (उ०) पिप्पल्यां स्थाने पिष्पल्यां पु० // 305 (पू०) तण्डुला स्थाने तन्दुला पु० नि० // 306 (पू०) सुमूलकं स्थाने समूलकं नि० / -कमोषणम् स्थाने-कमूषणम् नि० / (उ०) पुनश्चव्यं चवनं कोल-स्थाने तथा चव्यं चवनं काल-नि०॥ 307 (50) वशिरो स्थाने वसिरो नि० / -पिप्पली स्थाने -पिष्पली